रघुवर ने कहा, तीनों कृषि कानून से किसानों को बिचौलियों से मिलेगी मुक्ति, जताई आपत्ति
Raghubar Das removal demand. कारोाबारी संगठनों ने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृहमंत्री अमित शाह से रघुवर दास को तत्काल प्रभाव से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाने की भी मांग की है।
जासं, जमशेदपुर : झारखंड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने एक आलेख ‘कृषि कानूनों से बहुरेंगे किसानों के दिन’ में कहा है कि केंद्र सरकार ने जो तीनों कृषि कानून बनाए हैं, उससे किसानों को बिचौलियों व माफिया किस्म के व्यापारियों से मुक्ति मिल जाएगी।
इस बात पर जमशेदपुर चैंबर ऑफ कामर्स के संरक्षक शंकर मित्तल ने आपत्ति जताई है कि रघुवर दास ने सभी व्यापारियों को माफिया और दलाल कहा है। मित्तल ने कहा है कि उन्होंने इसकी शिकायत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से की है, जिसमें उनसे रघुवर दास को तत्काल प्रभाव से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है । मित्तल का कहना है कि इस आलेख में रघुवर दास ने सदियों से चले आ रहे किसानों और व्यापारियों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच में कड़वाहट घोलने का काम किया है। उन्होंने अपने लेख में जिम्मेदार राजनीतिज्ञ होने का परिचय नहीं दिया है। उन्होंने देश के व्यापारियों को नाग और माफिया की संज्ञा दी है। उन्होंने अपने लेख में कहा है कि हमारी सरकार ने तीनों कानूनों के माध्यम से किसानों को दलालों और बिचौलियों को नागपाश से मुक्त कराया है।
रघुवर दास के इस बयान ने देश भर के व्यापारियों के बीच खलबली मचा दी है। इसे लेकर कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को रविवार को एक पत्र भेजकर रघुवर दास को उनके गैर जिम्मेदाराना बयान के लिए उन पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
मित्तल ने कैट की इस कार्रवाई का स्वागत किया तथा रघुवर दास के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा की देश भर के सभी व्यापारियों को माफिया व दलाल कहना अनुचित है। उनका बयान किसानों के मन में व्यापारियों के प्रति विष घोलने का काम कर रहा है।
मित्तल ने कहा की आज देश में कई हजार करोड़ का कृषि उपज व्यापार है, जिसमें देश के करोड़ों व्यापारी अपना रोजगार कर रहे हैं। इन तीनों कानूनों के लागू होने के बाद कृषि व्यापार में एकाधिकार बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है, जिससे छोटे व्यापारियों की जीविका प्रभावित होगी। एक तरफ जहां व्यापारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा होगा, वहीं दूसरी ओर लगातार व्यापारियों को बिचौलिया, दलाल और माफिया बताकर जलील कर उन्हें अपमानित किया जाता है। देश के व्यापारी और किसान देश की रीढ़ हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।