जमशेदपुर में बस स्टैंड का नहीं हुआ टेंडर, कोरोना के कारण संवेदकों ने पीछे खींचे हाथ
मानगो बस स्टैंड पार्किंग के लिए निकाले गए दो बार टेंडर में किसी भी संवेदक ने भाग नहीं लिया। जिसके कारण जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार ने सरकार को पत्र लिखकर दिशा निर्देश मांगा है। बता दें कि मानगो बस स्टैंड पार्किंग के लिए...
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । मानगो बस स्टैंड पार्किंग के लिए निकाले गए दो बार टेंडर में किसी भी संवेदक ने भाग नहीं लिया। जिसके कारण जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार ने सरकार को पत्र लिखकर दिशा निर्देश मांगा है। बता दें कि मानगो बस स्टैंड पार्किंग के लिए जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति ने 2.18 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की थी। लेकिन किसी भी संवेदक ने मानगो जेपी सेतु बस पड़ाव के पार्किंग स्थलों के लिए फार्म नहीं लिया। बताया गया कि मानगो बस पड़ाव पार्किंग का दर 2.18 करोड़ रुपये काफी ज्यादा है, यही कारण है कि किसी ने बस पड़ाव पर रूची नहीं दिखाई।
जब किसी संवेदक ने रूची नहीं दिखाई तो जमशेदपुर अक्षेस ने दुबारा बंदोबस्ती के लिए टेंडर निकाला, लेकिन किसी ने फार्म नहीं खरीदा। पूछने पर जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी कृष्ण कुमार ने बताया कि संवेदकों ने अधिक रकम का हवाला देते हुए टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। उन्होंने बताया कि सरकार को पत्र लिखकर दिशा निर्देश मांगा गया है कि क्या किया जाए। एक संवेदक ने बताया कि चूंकी कोरोना काल का समय है। मानगो बस पड़ाव पार्किंग का इसिलए कोई संवेदक उतनी बड़ी रकम में टेंडर नहीं लिया क्योंकि वाहनों के साथ ही आम यात्रियों का आवागम काफी कम हो गयी है। जिसके कारण कोई संवेदक जोखिम नहीं उठाना चाहते।
बीते साल दो करोड़ 25 लाख में हुआ था बंदोबस्ती
बीते साल 2019 में मानगो बस सेतू पार्किंग का टेंडर दो करोड़ 25 लाख रुपये में सोनल इंटरप्रइजेज ने लिया था, लेकिन नुकसान उठाने के बाद वह हाथ खड़ा कर दिया और अपने आप को अलग कर लिया। इसके बाद दूसरे नंबर के संवेदक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने दो करोड़ 18 लाख 30 हजार रुपये में दे दी। लेकिन उन्होंने भी अपना हाथ खड़ा कर दिया। इसके बाद से ही खुद जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति ही पार्किंग की वसूली कर रही है। टेंडर नहीं होने से विभाग को राजस्व की क्षति हो रही है। जमशेदपुर अक्षेस को अब सरकार से दिशा निर्देश का इंतजार है।