घाटा पूरा करने के लिए दोगुना किराया लेकर बस संचालक कर रहे यात्रियों की जेब ढीली
साढ़े पांच माह के बाद लंबी दूरी व मिनी बस का परिचालन तो शुरू हुआ लेकिन बस के परिचालन से प्रतिदिन हो रहे घाटे को पूरा करने के लिए यात्रियों से दोगुना किराया बस संचालक वसूल रहे हैं।
जमशेदपुर, जासं। साढ़े पांच माह के बाद लंबी दूरी व मिनी बस का परिचालन तो शुरू हुआ, लेकिन बस के परिचालन से प्रतिदिन हो रहे घाटे को पूरा करने के लिए यात्रियों से दोगुना किराया बस संचालक वसूल रहे हैं। प्रतिदिन बस में 10-12 यात्री ही टाटा से रांची तक सफर कर रहे हैं। मिनी बसों का भी यही हाल है। घाटा को पूरा करने के लिए दोगुना किराया तो बस संचालक वसूल रहे हैं लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं। न ही बस का सैनिटाइज हो रहा है और न ही जिस सीट पर यात्री बैठ रहे हैं उसे ही सैनिटाइज ही किया जा रहा है।
टाटा से रांची तक एसी बस का किराया ढाई सौ रुपये है। लेकिन वसूला जा रहा है पांच सौ रुपये। यह किराया निर्धारण बस व मिनी बस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने खुद ही बैठक कर लिया है। दोगुना किराया वसूलने के लिए न ही जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) से इजाजत ली गई है और न ही जिले का उपायुक्त को इसकी भनक लगी। लेकिन प्रतिदिन यात्रियों की जेब ढीली हो रही है। मानगो बस स्टैंड में करीब लंबी व कम दूरी की मिलाकर करीब पांच सौ से अधिक बसें हैं। इनमें से करीब 50 बसों का ही परिचालन हो रहा है। यही हाल मिनी बसों का भी है। इन बसों में भी दोगुना किराया ही यात्रियों से लिया जा रहा है।
नहीं चल रहा जांच अभियान
जिला प्रशासन ने बसों का परिचालन तो शुरू कर दिया। लेकिन बसों में क्या व्यवस्था है। शारीरिक दूरी का पालन हो रहा है कि नहीं, दोगुना किराया क्यों वसूला जा रहा है। इसका औचक निरीक्षण तक करना जिला प्रशासन के अधिकारी जरूरी नहीं समझ रहे है। जबकि मोटर व्हीकल एक्ट में यात्रियों से ज्यादा किराया लेने पर संबंधित बसों का परमिट निरस्त करने का भी प्रावधान है। किराए की सूची बकायदा बसों में चस्पाना अनिवार्य है। लिए गए किराए का टिकट संबंधित यात्री को देना अनिवार्य है। लेकिन नियम कानून को दरकिनार कर बस संचालक अपने को घाटे से बचाने के लिए यात्रियों का जेब काटने में लगे हैं।
दोगुना किराया के कारण नहीं आ रहे यात्री
दोगुना किराया लेने के कारण बसों में यात्रियों की कमी देखी जा रही है। बहुत जरूरी होने पर ही दोगुना किराया देकर यात्री सफर करने के लिए मजबूर हैं। लेकिन जिसे बहुत जरूरी नहीं है वैसे यात्री दोगुना किराया देने के पक्ष में नहीं हैं। साकची निवासी सुरेश ने बताया कि जब बसों में खचाखच भीड़ रहती थी उस समय तो बस संचालकों ने यात्रियों को किराए में छूट नहीं दी। अब जब यात्री नहीं है तो यात्रियों से दोगुना किराया लेने का क्या मतलब।
नहीं होती है थर्मल स्क्रीनिंग
जिला प्रशासन ने बस संचालकों को बस का परिचालन करने से पहले कई नियम से अवगत कराया था लेकिन उन नियमों का पालन किस तरह हो रहा है यह देखा जा सकता है। बस में सवार होने के लिए कोई यात्री आते हैं तो न ही उसका थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है और न ही उसने मास्क लगा रखा है कि नहीं इसकी जांच होती है। बस दोगुना किराया लेकर उस यात्री को बस में चढ़ा दिया जाता है।
- दोगुना किराया का निर्धारण बस संचालकों ने खुद ही बैठक कर किया है। जिला प्रशासन के अधिकारियों से राय तक नहीं ली गई है। बस के परिचालन को लेकर सरकारी गाइडलाइन का पालन हो रहा है कि नहीं जल्द ही जांच शुरू किया जाएगा।
-दिनेश कुमार रंजन, जिला परिवहन पदाधिकारी
- डीजल का खर्च निकालने के लिए दोगुना किराया लिया जा रहा है। सिंगल किराया में बस का परिचालन करना संभव नहीं है। यह किराया एसोसिएशन की बैठक में तय किया गया है। यात्री बढ़ेंगे तो किराया कम किया जाएगा।
- उपेंद्र सिंह संरक्षक जमशेदपुर बस ऑनर वेलफेयर एसोसिएशन
- अगर दोगुना किराया नहीं लिया जाएगा तो बसों का परिचालन संभव नहीं है। पहले ही 85 बसों में चार बसों का ही परिचालन हो रहा है। थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था जल्द ही की जाएगी।
- संजय पांडेय, कार्यकारी अध्यक्ष शिक्षित बेरोजगार मिनी बस एसोसिएशन