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हाकिमों के नाक के नीचे से बिहार जा रहीं बसें

दिन के 12.30 बज रहे थे जब मानगो बस स्टैंड पहुंचा तो मुझे देखते ही स्टैंड के कर्मचारी ने कहा कि बाबू कहां जाना है जैसे ही मैंने कहा कि मुझे पटना जाना है कर्मचारी ने लपकते हुए कहा मेरे पीछे-पीछे आइए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 10:27 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:11 AM (IST)
हाकिमों के नाक के नीचे से बिहार जा रहीं बसें
हाकिमों के नाक के नीचे से बिहार जा रहीं बसें

गुरदीप राज, जमशेदपुर : दिन के 12.30 बज रहे थे, जब मानगो बस स्टैंड पहुंचा तो मुझे देखते ही स्टैंड के कर्मचारी ने कहा कि बाबू कहां जाना है, जैसे ही मैंने कहा कि मुझे पटना जाना है, कर्मचारी ने लपकते हुए कहा, मेरे पीछे-पीछे आइए। कुछ दूर चलने के बाद जब मैंने पूछा, कहां ले जा रहे हो, तो उसने कहा कि बाबू बिहार बस नहीं जाती है लेकिन चोरी-छिपे बस का परिचालन यहां से हो रहा है। इसलिए खुलेआम टिकट नहीं दे सकते। बस चुपचाप मेरे पीछे आइए। कुछ ही देर में मुझे लेकर मानगो बस स्टैंड के पीछे दीवार के किनारे बनी एक झोपड़ीनुमा गुमटी में ले गया। वहां पहले से ही बस के तीन एजेंट बैठे थे और यात्रियों की कतार लगी थी। वहां जाते ही कर्मचारी ने कहा कि इन्हें पटना जाना है, फिर क्या था, वहां बैठे एजेंट पूछने लगे। कितने यात्री हैं। कब जाना है। बस से जाना है या कार से जाना है। जब मैंने बस से कहा तो एजेंट ने कहा कि 1200 रुपये दीजिए और शाम को 5.30 बजे मानगो बस स्टैंड पहुंच जाइएगा, छह बजे बस खुलेगी। मैंने कहा कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में आता हूं। यह कह कर वहां से निकल गया।

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शाम को जब मैं डिमना रोड स्थित मां तारिणी पेट्रोल पंप पहुंचा, तो वहां यात्रियों का मेला लगा था। एजेंट हाथ में सीट की लिस्ट लेकर यात्रियों को सीट आवंटित कर रहा था। जिन यात्रियों को सीट नहीं मिली, उन्हें सुमो, डिजायर आदि कार के संचालकों ने सौदा करना शुरू कर दिया।

जिला प्रशासन की नाक के नीचे मानगो बस स्टैंड से अंतरराज्यीय बसों का परिचालन अवैध रूप से किया जा रहा है। पटना के लिए मानगो से कृष्णा रथ, राजधानी व याराना बस का परिचालन हो रहा है। मानगो बस स्टैंड में बिहार जाने वाले यात्रियों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। जहां यात्री एजेंट की मुंहमांगी कीमत पर पटना के लिए टिकट खरीदने को मजबूर हैं। टाटा से पटना के लिए एसी बस में 1200 रुपये व नन एसी बस में एक हजार रुपये प्रति यात्री वसूले जा रहे हैं। बिहार जाने के दौरान झारखंड बॉर्डर पार करने के लिए चेकनाका पर नजराना देकर बस चालक आराम से बिहार की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से चोरी छिपे बस का परिचालन हो रहा है। हालांकि इसी बीच जिला प्रशासन को इस बात की भनक लगी तो सोमवार की शाम छापेमारी शुरू हो गई। इसके कारण राजधानी बस को रद कर दिया गया, जबकि कृष्णा रथ सोमवार की शाम को पहले ही पटना के लिए निकल चुकी थी। बिहार जाने वाले यात्रियों की संख्या इतनी अधिक है कि प्रत्येक बसों की सीटें फुल हो जा रही हैं। बसों में बैठने की जगह नहीं मिलने पर कार में बैठाकर यात्रियों को बिहार ले जाया जा रहा है।

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पेट्रोल पंप पर लगता यात्रियों का मजमा

मानगो बस स्टैंड से बिहार जाने वाली बसों का टिकट देने के बाद एजेंट यात्रियों को मानगो स्थित मां तारिणी पेट्रोल पंप के पास बुलाते हैं। यहां बस के आने पर यात्री सवार होकर बिहार के लिए चले जाते हैं। पेट्रोल पंप पर बस के एजेंट व कर्मचारी मौजूद रहते हैं और वे यात्रियों को बस की टिकट की व्यवस्था कराते हैं। कुछ यात्री शाम को सीधे पेट्रोल पंप ही पहुंच रहे हैं, जिनसे मनमाना किराया वसूला जा रहा है।

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सुमो, डिजायर व इनोवा के लिए भी हो रही बुकिग मानगो बस स्टैंड व मानगो मां तारिणी पेट्रोल पंप पर मौजूद एजेंटों द्वारा बिहार जाने के लिए सुमो, डिजायर, इनोवा आदि की बुकिग की जा रही है। टाटा से पटना के लिए एक यात्री से डिजायर में दो हजार और सुमो में 1700 रुपये लिए जा रहे है। वहीं आरा के लिए 1500-1600, गया के लिए 1500-1700 रुपये तक लिए जा रहे हैं।

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बस संचालक कार से ढो रहे बिहार की सवारी जासं, जमशेदपुर : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने झारखंड के अंदर ही अन्य शहरों के बीच बस चलाने की अनुमति प्रदान की है। बिहार के प्रमुख शहरों के लिए इनोवा, स्विफ्ट या अन्य लग्जरी कार से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं। एक ट्रांसपोर्टर ने दैनिक जागरण को बताया कि 2000 रुपये में बिहार के गया, पटना, भागलपुर जहां जाना है, कार छोड़ देगी। ट्रांसपोर्टर का कहना था कि अधिकांश यात्री बिहार जाने के लिए ही आते हैं। रोजी-रोटी के लिए कार से ही यात्रियों को बिहार भेजा जा रहा है।

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हाइवे से चोरी-छिपे बिहार के लिए रवाना हो रही बस मानगो बस स्टैंड में जब पड़ताल की गई तो पाया गया कि पटना जाने के लिए एक बस खुलती है, जो टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 में खड़ी होती है, यात्रियों को गुप्त तरीके से उक्त स्थान पर बुलाकर बस से बिहार के लिए रवाना होती है। बताया जाता है कि बिहार जाने के लिए यात्रियों से दोगुना किराया लिया जाता है। एक बस के संचालक ने बताया कि एहतियात बरतते हुए बस चलाई जा रही है। बस संचालक ने बताया कि आखिर क्या करें, मेरे पास कार नहीं है। अपनी रोजी रोटी से अधिक चिता है बस चालक और खलासी की। जो सात माह से बैठे हैं। कब तक उन्हें बैठाकर घर चलाएं। सरकार को सशर्त बस चलाने की अनुमति देनी चाहिए।

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अंतरराज्यीय बसों का परिचालन पूरी तरह से बंद है। इसके बावजूद अगर यहां से बिहार के लिए बसें जा रही हैं, तो नियम का उल्लंघन करने के मामले में बस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बसों को जब्त किया जाएगा।

-दिनेश कुमार रंजन, जिला परिवहन पदाधिकारी


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