20 साल पुराना पीपल महज डेढ़ फुट का
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बोनसाई यानी बागवानी की वह कला, जिसमें विशालकाय वृक्षों को छ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
बोनसाई यानी बागवानी की वह कला, जिसमें विशालकाय वृक्षों को छोटे पौधे का रूप दिया जाता है। कुछ समय पहले तक यह कला चंद लोगों तक ही थी, लेकिन अब यह आम होती जा रही है। शायद यही कारण है कि बिष्टुपुर स्थित एसएनटीआइ परिसर में शनिवार को आयोजित बोनसाई फियेस्टा-3 में करीब 110 लोग शामिल हुए। बोनसाई कार्यशाला में जहां रांची से आए बोनसाई विशेषज्ञ शंकर चंदा ने बागवानी के शौकीनों को बोनसाई बनाने के गुर सिखाए, वहीं शहर के पुराने शौकीनों ने अपनी बोनसाई की प्रदर्शनी लगाई थी। इनमें से राजा ने एक पीपल का बोनसाई प्रदर्शित किया, जिसे करीब 20 साल के अथक परिश्रम से तैयार किया गया है। आश्चर्य की बात है कि जो पेड़ इस अवधि में लगभग 200 फुट का होना चाहिए था, वह महज डेढ़ फुट ऊंचा है। इसी तरह यहां बरगद, नीम समेत अन्य प्रजाति के पौधे थे, जिनकी वास्तविक ऊंचाई या लंबाई हर किसी को दांतों तले अंगुली दबाने को विवश कर रही थी।
इससे पूर्व बोनसाई प्रदर्शनी सह कार्यशाला का उद्घाटन पूर्वी सिंहभूम की प्रभारी उपविकास आयुक्त रंजना मिश्रा ने बतौर मुख्य अतिथि किया, जबकि इस मौके पर उनके साथ विशिष्ट अतिथि हार्टिकल्चरल सोसाइटी की चेयरपर्सन रुचि नरेंद्रन, अध्यक्ष व जुस्को के सीनियर जीएम कैप्टन धनंजय मिश्रा, सचिव बरेन माइती व आजीवन सदस्य मधुलिका शर्मा मंचस्थ थीं।