Jharkhand Assembly Election 2019 : झारखंड में इस बार 15 पार नहीं करेगी भाजपा : सरयू Jamshedpur News
सरयू ने कहा कि इस बात का पता भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी चल गया है। भाजपा नेताओं ने यह कहना छोड़ दिया है कि इस चुनाव में कौन चेहरा है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। झारखंड विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण समाप्त हो चुका है, जबकि तीसरे चरण का प्रचार आज समाप्त हो गया। पहले चरण में भाजपा को दो सीट मिल रही है, जबकि दूसरे चरण में एक सीट मिलेगी। झारखंड में इस बार भाजपा 15 सीट पार नहीं कर पाएगी।
ये बातें झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री व जमशेदपुर पूर्वी से मुख्यमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सरयू राय ने कहीं। बिष्टुपुर स्थित आवास पर संवाददाता सम्मेलन में सरयू ने कहा कि इस बात का पता भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी चल गया है। भाजपा नेताओं ने यह कहना छोड़ दिया है कि इस चुनाव में कौन चेहरा है। लेकिन अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वे नाम लें या नहीं, भाजपा की जो दुर्गति होनी थी, वह हो चुकी। अपनी जीत के बारे में पूछने पर कहा कि वे आश्वस्त हैं कि पूर्वी की जनता जीत रही है।
मेरे कार्यकर्ताओं को कुछ हुआ तो ठीक नहीं होगा
सरयू राय ने कहा कि मतदान के बाद एक नई बात सामने आई है। भाजपा के उन कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा है, जिन्होंने चुनाव में मेरे लिए काम किया। इनमें से दो कार्यकर्ताओं के घर भी गया था, जिसमें से एक सीतारामडेरा के सुमित साहू ने एफआइआर भी कर दिया है। दूसरे कार्यकर्ता पूर्व विधायक मंगल राम के पुत्र डब्लू राम हैं। मैं निवेदन कर रहा हूं कि ऐसी हरकत से बाज आएं। चुनाव में जिसने भी मेरा साथ दिया है, उसे संरक्षण देना मेरा दायित्व है। धमकी देना लोकतंत्र के बुनियादी उसूल के खिलाफ है। यदि मेरे किसी कार्यकर्ता को कुछ भी हुआ, तो ठीक नहीं होगा। मैं अपने कार्यकर्ताओं को हर तरह से संरक्षण दूंगा।
पावर सबस्टेशन में हुआ 850 करोड़ का घोटाला
झारखंड में तीन साल पहले पूरे राज्य के लिए पावर सबस्टेशन बनाने के लिए 850 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था। टेंडर जिस व्यक्ति को दिया गया, उसे बिहार सरकार छह वर्ष के लिए काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में डाल दिया गया था। जब मैंने सवाल उठाया, तो वह व्यक्ति बिहार गया और ब्लैकलिस्ट होने के पहले की तारीख से क्लीनचिट लेकर आ गया।
उस व्यक्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए। यह बहुत बड़ा ऊर्जा घोटाला है। चूंकि मुख्यमंत्री के पास ही ऊर्जा विभाग है, इसलिए मुख्यमंत्री सचिवालय ने टेंडर इवैल्यूएशन कमेटी को ही पहले धमकाया गया, फिर बदल दिया गया। ऐसा ही मैनहर्ट कमेटी के साथ भी हुआ था। नई कमेटी बनी, तो पुरानी कमेटी के लोग हाईकोर्ट चले गए। मामला अभी भी हाईकोर्ट में है। मेरा मानना है कि इसके पीछे जो लोग थे, बेनकाब होना चाहिए। इसी तरह तेनूघाट विद्युत निगम में पांच वर्ष पहले हुआ। पेयजल-स्वच्छता विभाग ने जो भी जलमीनार बनाया, उसमें भी डेडिकेटेड पावर सप्लाई के लिए तीन-तीन जगह से भुगतान किया गया।
जमशेदपुर व इसके आसपास बिजली की चोरी बढ़ गई है। मेरे कहने पर इसकी जांच के लिए आइपीएस अनिल पाल्टा के नेतृत्व में एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित की गई थी। टीम ने जो रिपोर्ट दी थी, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।