झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ भाजपा ने खोला मोर्चा, राज्यपाल को भेजा शिकायतों का पुलिंदा
भाजपा ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है जिसमें जमशेदपुर समेत पूरे झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को बदहाल बताया है। पार्टी नेता देवेंद्र सिंह ने लिखा है कि झारखंड में कोविड-19 से झारखंड सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय अव्यवस्थाओं का पूर्ण रूप से शिकार है।
जमशेदपुर, जासं। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है, जिसमें जमशेदपुर समेत पूरे झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को बदहाल बताया है।
देवेंद्र सिंह ने लिखा है कि झारखंड में कोविड-19 से झारखंड सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय अव्यवस्थाओं का पूर्ण रूप से शिकार है। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री की अदूरदर्शिता और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने के चलते जमशेदपुर शहर ही नहीं झारखंड के संपूर्ण ग्रामीण क्षेत्र में भी यह बीमारी विकराल रूप धारण कर चुकी है। मौत का आंकड़ा भी बड़ा है।
झारखंड में दूसरी लहर आने के पहले ही विशेषकर जमशेदपुर में करीब 700 स्वास्थ्य कर्मचारियों को जबरन हटा दिया गया। मोदी केयर फंड से जो वेंटिलेटर सरकारी अस्पतालों में दिए गए थे, तकनीशियन के अभाव में अधिकतर वेंटिलेटर बेकार पड़े हैं।
झारखंड में डॉक्टरों का घोर अभाव है। जब से यूपीए की सरकार झारखंड में आई है, कोई नया अस्पताल तो नहीं बना, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपने निजी स्वार्थ के चलते जमशेदपुर में रघुवर सरकार के समय आधुनिक सुविधाओं से संपन्न मेडिका हॉस्पिटल खुला था, उसे बंद करा दिया। और भी कई अस्पताल बंद होने की कगार पर हैं।
जमशेदपुर में टाटा मेन हॉस्पिटल व टाटा मोटर्स हॉस्पिटल आधुनिक सुविधाओं से संपन्न है, इसलिए लोगों की जान लगभग बच जा रही है। यदि ये हॉस्पिटल नहीं रहते तो झारखंड में मरने वालों का आंकड़ा बहुत ज्यादा होता।
जमशेदपुर ही नहीं पूरे झारखंड में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट मिलने में एक-एक सप्ताह लग जा रहे हैं। तब तक मरीज कई लोगों को कोरोना फैला देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग नहीं के बराबर है। टीकाकरण कछुए की चाल चल रही है।
विगत दिनों स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपने निजी सचिव के माध्यम से जो स्वास्थ्य कर्मचारी 45 साल से ऊपर वालों को स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके लगा रहे थे, उन्हें जबरन मारपीट कर गाली गलौज कर अपने जमशेदपुर कदमा स्थित निजी कार्यालय में लाकर करीब चार दर्जन निजी लोगों का टीकाकरण करा दिए। इनके निजी सचिव पर मुकदमा हुआ, जबकि मंत्री का नाम उस मुकदमे में होना चाहिए था।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता केवल जमशेदपुर और रांची ही घूमते रहते हैं। क्या जमशेदपुर और रांची ही पूरा झारखंड है। पलामू, संथाल परगना, गिरिडीह इत्यादि क्षेत्रों में जाते ही नहीं ,कारण की जमशेदपुर रांची में ही निजी स्वार्थ छिपा हुआ है।
जमशेदपुर में उमा नर्सिंग होम है। उसे किस नियम के तहत झारखंड स्वास्थ्य मंत्री पीएम केयर्स फंड से मिला हुआ वेंटिलेटर क्यों दिया इसकी जांच होनी चाहिए।
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर बीमार पड़ने पर वहां इलाज नहीं कराकर टीएमएच, रांची अपोलो, रांची मेडिका में ही क्यों जाते हैं। यह दर्शाता है कि झारखंड के सरकारी अस्पतालों की स्थिति भ्रष्टाचार के चलते अत्यंत ही दयनीय है। इनके विभाग के सचिव डेढ़ साल में तीन बार, निजी आप्त सचिव चार बार हटाए गए। बड़े पैमाने पर अनैतिक तरीके से सिविल सर्जनों का ट्रांसफर-पोस्टिंग यह दर्शाता है कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है। नर्सिंग होम एवं दवा दुकानदार स्वास्थ्य मंत्री के आतंक से भयभीत रहते हैं। कब उनके ऊपर झूठा मुकदमा ठोक कर जेल भेज दिया जाएगा, कहा नहीं जा सकता। कुछ पर झूठा मुकदमा हुआ भी है, तो कुछ जेल भी गए हैं।
अंत में देवेंद्र सिंह ने लिखा है कि महामहिम आप संविधान के रक्षक हैं। झारखंड को बचाना है तो आप संज्ञान लेकर जांच के लिए आदेश देने की कृपा प्रदान करें।