BJP ने की बंगाल में अतिरिक्त पारा मिलिट्री तैनात करने की मांग, कहा-निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव के लिए जरूरी
झारखंड प्रदेश भाजपा ने टीएमसी समर्थित हमलों की निंदा करते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग से मांग की है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतिरिक्त पारा मिलिट्री फोर्स की प्रतिनियुक्ति की जाए और हर वह प्रबंध सुनिश्चित किया जाए जिससे पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हो सके।
जमशेदपुर, जासं। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों के दौरान जिस तरह से हिंसक घटनाएं राजनीतिक संरक्षण में घट रही हैं और सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, उसे झारखंड प्रदेश भाजपा ने लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने इन घटनाओं की भर्त्सना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इसका मुख्य कारक बताया। कहा कि सीएम के निर्देश पर बंगाल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता की तरह बर्ताव कर रहे हैं। पिछले तीन दिन के अंदर पश्चिम बंगाल में भाजपा के बड़े नेताओं को निशाना बनाकर नुक्सान पहुंचाने का प्रयास हुआ है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के बिरसा मुंडा सिदो-कान्हू सम्मान यात्रा के रथ पर हमला, सांसद अर्जुन सिंह के घर पर दर्जनों बम से हमला और गुरुवार को नंदीग्राम में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की चुनावी सभा में भाजपा कार्यकर्ता के सिर पर घातक हमला लोकतंत्र की सरेआम हत्या के प्रत्यक्ष नमूने हैं।
टीएमसी समर्थकों के हमले की निंदा
झारखंड प्रदेश भाजपा ने टीएमसी समर्थित हमलों की निंदा करते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग से मांग की है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतिरिक्त पारा मिलिट्री फोर्स की प्रतिनियुक्ति की जाए और हर वह प्रबंध सुनिश्चित किया जाए, जिससे पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हो सके। अपनी संभावित हार देखकर तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता हिंसा पर उतर आए हैं। आने वाले दिनों के लिए यह कदापि शुभ संकेत नहीं माना जा सकता। भाजपा के तीन वरीय नेताओं पर हमला करने की कोशिश हुई है, उनके कार्यक्रमों को बाधित करने का दुस्साहस हुआ है। प्रशासनिक तंत्र को राजनीतिक विद्वेष के साथ इस्तेमाल करने की निंदनीय परंपरा जो टीएमसी ने बंगाल में शुरू की है, उसपर चुनाव आयोग रोक लगाए ताकि भारत की जनता का चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर अटूट विश्वास बरकरार रहे।