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निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियन ने किया धरना प्रदर्शन

ाहर में रविवार को बारिश के बावजूद यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनरतले सभी बैंक कर्मचारियों ने साकची गोलचक्कर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 09:52 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 09:52 PM (IST)
निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियन ने किया धरना प्रदर्शन
निजीकरण के विरोध में बैंक यूनियन ने किया धरना प्रदर्शन

जासं, जमशेदपुर : शहर में रविवार को बारिश के बावजूद यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनरतले सभी बैंक कर्मचारियों ने साकची गोलचक्कर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। बैंक यूनियन केंद्र सरकार द्वारा बैकों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। साथ ही निजीकरण के विरोध में यूनियन ने आगामी 16 व 17 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है।

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यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के सह संयोजक हीरा अरकने का कहना है कि केंद्र सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण करने का प्रस्ताव शीतकालीन सत्र में करने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार बैंकिग कानून (संशोधन) विधेयक पेश करने की नोटिस लोकसभा अध्यक्ष को सौप दिया है। यह संशोधन सिर्फ दो बैंकों के नाम पर भविष्य में सभी सरकारी बैंकों के निजीकरण का रास्ता साफ करने के लिए है। धरना प्रदर्शन का नेतृत्व ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज यूनियन के जिला संयोजक रिटू रजक, सह संयोजक हीरा अरकने, बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव आरबी सहाय, उप महासचिव सपन अदख, आईबोक के सुब्रतो, बेफी के तापस दास, डीएन सिंह, एआईबीओए के गौतम घोष, बबिता अरकने, महिला सेल की प्रीति गुप्ता, सुष्मिता साहू, श्रुति कुमारी, अंजली, खुशबू मुंडा सहित कई बैंक कर्मचारी उपस्थित थे।

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दो साल में 2.84 करोड़ का नुकसान

हीरा अरकने का कहना है कि पिछले दो साल में डीएचएफएल और भूषण स्टील्स सहित 13 बड़े कॉरपोरेट कंपनियों के पक्ष में फंसे कर्ज के निपटारे के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। हीरा ने आरोप लगाया कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भारी नुकसान मोदी सरकार द्वारा अपनाई गई 'समाधान नीति' का परिणाम है। जिसमें संस्थाओं से लिए गए मूलधन से भी कम रकम पर एनपीए का निपटारा कर रही है जो आम जनता के गाढ़ी कमाई की लूट है।


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