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Bank Strike: बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारी यूनियन कर रहे हैं धरना- प्रदर्शन, जाने क्या है उनकी मांगे

Bank Strike बैंक कर्मचारी यूनियन ने 16 व 17 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के सह संयोजक हीरा अरकने ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा की नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 05:17 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 05:17 PM (IST)
Bank Strike: बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारी यूनियन कर रहे हैं धरना- प्रदर्शन, जाने क्या है उनकी मांगे
सभी बैंक कर्मचारी यूनियन बैंकों का निजीकरण का विरोध कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बैंक कर्मचारी यूनियन रविवार को साप्ताहिक अवकाश के बावजूद खराब मौसम में भी साकची गोलचक्कर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी बैंक कर्मचारी यूनियन बैंकों का निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए बैंक कर्मचारी यूनियन ने 16 व 17 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के सह संयोजक हीरा अरकने ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा की नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

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उन्होंने आशंका जताई कि केंद्र सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक पेश करने की नोटिस लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी है। हमारा मानना है कि यह संशोधन सिर्फ दो बैंको के नाम पर भविष्य में सभी सरकारी बैंको के निजीकरण का रास्ता साफ करने के लिए है। धरना प्रदर्शन का नेतृत्व ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाईज यूनियन के जिला संयोजक रिंटू रजक, सह संयोजक हीरा अरकने, बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव आरबी सहाय, उप महासचिव सपन अदख, आईबोक के सुब्रतो, बेफी के तापस दास, डीएन सिंह, एआईबीओए के गौतम घोष, बबिता अरकने, महिला सेल की प्रीति गुप्ता, सुष्मिता साहू, श्रुति कुमारी, अंजली, खुशबू मुंडा सहित कई बैंक कर्मचारी उपस्थित थे।

दो साल में 2.84 करोड़ का नुकसान

हीरा अरकने का कहना है कि निजी कंपनियों की क्या स्थिति होती है यह उनके वित्तीय आंकड़े दर्शाते हैं। पिछले दो साल में डीएचएफएल और भूषण स्टील्स सहित 13 बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में फंसे कर्ज के निपटारे के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। हीरा ने आरोप लगाया कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भारी नुकसान मोदी सरकार द्वारा अपनाई गई 'समाधान नीति' का परिणाम है। इन संस्थाओं के कारण एनपीए हुए लोन खातों को लोन के मूल पूंजी से भी कम रकम पर एनपीए का निपटारा क रही है जो आम जनता के गाढ़ी कमाई की लूट है।

राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार से निजीकरण की बोली को रोकने का आग्रह करते हुए, नौ बैंक यूनियन की इकाई, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 16-17 दिसंबर को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इस निजीकरण के खिलाफ संघर्ष की कड़ी में रविवार को धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।


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