67 साल की उम्र में 4,625 किलोमीटर का सफर तय करने जा रही यह माउंटेन वूमैन, जानिए कौन हैं वो
FIT50+ जिस उम्र में लोग रिटायर होने के बाद आराम से घर में समय बिताने को सोचते हैं उस उम्र में यह माउंटेन वूमेन अभियान पर निकल पड़ी हैं। एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला 10 अन्य महिलाओं के साथ साहसिक अभियान पर जाएंगी। अभियान की विशेषता जानिए...
जमशेदपुर : माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल 67 साल की हो गई है, फिर भी यह जीवट महिला रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस बार वह 10 सदस्यीय महिला टीम के साथ पांच महीने का साहसिक अभियान पर निकल रही है। यह अभियान हिमालयन रेंज के अरुणाचल प्रदेश से लद्धाख के बीच होगी। सबसे बड़ी बात, अभियान में शामिल सभी महिलाएं 50 साल से ऊपर की हैं।
8 मार्च को शुरू होगा अभियान
अभियान का नाम फिट ऐट 50 प्लस वीमेंस ट्रांस हिमालयन अभियान रखा गया है। अभियान आठ मार्च से निकलेगा जो 4,625 किलोमीटर का सफर तय करेगा। इस दौरान अभियान दल के सदस्य 37 पहाड़ी दर्रों से गुजरेंगे, जिसमें 17,320 फीट पर अवस्थित लमखागा दर्रा शामिल है, जिसे सबसे कठिन माना जाता है। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित यह अभियान पिछले साल मई में शुरू होना था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण स्थगित करना पड़ा।
टीम में शामिल सभी महिलाओं की उम्र 50 पार
बछेंद्री पाल ने अभियान के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अभियान सभी आयु वर्ग की महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए अपने दैनिक जीवन में फिटनेस गतिविधियों को शामिल करने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि अभियान के पीछे का उद्देश्य यह संदेश देना है कि जीवन 50 पर समाप्त नहीं होता है और हमें खुद को फिट रखकर जीवन के हरेक क्षण का आनंद लेना चाहिए।
उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह से महिला अभियान था, जो महिला सशक्तीकरण को दर्शाता है, और 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अभियान का शुरुआत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में महिलाओं ने परिवार को फिट रखने का काम किया। भारत भर से तैयार की गई टीम के सदस्यों में तीन महिला एवरेस्ट विजेता, सेवानिवृत्त पेशेवर और गृहिणी शामिल हैं।
अरुणाचल प्रदेश से शुरू होगा अभियान
उन्होंने कहा कि टीम ने हाल ही में उत्तरकाशी में एक सप्ताह का अभियान पूर्व प्रशिक्षण लिया है, उन्होंने कहा कि टीम के साथ समन्वय और खाना पकाने के उद्देश्यों के लिए दो पुरुष सहायक सदस्य होंगे। 10 सदस्यीय टीम भारत-बर्मा सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश के पंगसाऊ दर्रे से अपनी यात्रा शुरू करेगी और फिर थुंगरी से गुजरते हुए असम को पार करेगी।
पहले की योजना भूटान के रास्ते ट्रेल्स लेने की थी। हालांकि, महामारी के कारण भूटान में प्रवेश अभी भी बंद है। वहां से, अभियान कुछ समय के लिए पश्चिम बंगाल से गुजरेगा और सिक्किम को पार करेगा और चित्रे, काला पोखरी और संदकफू को कवर करेगा।
टीम फिर नेपाल में जाएगी, जहां मार्ग धौलागिरी रेंज से गुजरेगा जो साल्पा दर्रा, लामाजुरा दर्रे को कवर करता है और अन्नपूर्णा मासिफ के आसपास थोरंग ला (17,769 फीट) को भी पार करता है।
पश्चिमी नेपाल से, पगडंडी जुमला से जाती है और उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में धारचूला में प्रवेश करती है। यहां से, अभियान लमखागा दर्रे (17,320 फीट) को पार करेगा, जो सबसे कठिन दर्रे में से एक है। यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले को उत्तराखंड के हर्षिल से जोड़ता है।
इसके बाद टीम हिमाचल जाएगी और फिर स्पीति से होते हुए काजा, किब्बर को पार करेगी और परंग ला (18,307 फीट) को पार करेगी। अभियान लेह-लद्दाख क्षेत्र में समाप्त होगा जहां टीम नमशांग ला (15,900 फीट) को पार करेगी और कारगिल जिले के द्रास क्षेत्र (16,607 फीट) में टाइगर हिल पर समाप्त होगी।