दो साल पहले रातोरात भाग गई थी ऑस्ट्रेलियन कंपनी, कोर्ट ने दिलाई पीएफ की रकम Jamshedpur News
हाईकोर्ट में पीएफ विभाग जीता एचसीएल ने जमा कियेे तीन करोड़ रुपये मुसाबनी के डेढ़ हजार मजदूरों का बकाया पीएफ आया।
जमशेदपुर (वीरेंद्र ओझा)। मुसाबनी स्थित हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के उन डेढ़ हजार मजदूरों के लिए खुशखबरी है, जो आइआरएल (इंडिया रिसोर्स लिमिटेड) के अधीन कार्यरत थे। आस्ट्रेलिया मूल की यह कंपनी दो साल पहले रातों-रात भाग गई थी। इसके बाद अफरातफरी मची। कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू किया, तो सांसद-विधायक समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेता-कार्यकर्ता कूदे। मामला पीएफ (भविष्य निधि) विभाग के पास पहुंचा। विभाग ने एचसीएल से इन कर्मचारियों का बकाया देने के लिए नोटिस दिया, तो यह कहते हुए कंपनी हाईकोर्ट चली गई कि वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। विभाग ने मजबूती के साथ दलील दी, तो कोर्ट ने मुख्य नियोक्ता (प्रिंसिपल इंप्लायर) होने के नाते एचसीएल को बकाया भुगतान करने के लिए कहा। अब एचसीएल ने करीब तीन करोड़ रुपये पीएफ विभाग में जमा करा दिया है।
भविष्य निधि कार्यालय के क्षेत्रीय आयुक्त तुषारकांत मुखर्जी ने बताया कि वर्ष 2007 में कॉपर एक्सट्रैक्शन के लिए एचसीएल ने ऑनलाइन टेंडर निकाला था। आस्ट्रेलियाई कंपनी मोनार्क फॉरेन कंपनी ने निविदा भरी। इसके लिए उसने इंडिया रिसोर्स लिमिटेड नामक कंपनी बनाई। कंपनी ने सुरदा व राखा माइंस समेत अन्य खदानों में 2017 तक काम किया, लेकिन 2015 से ही इसने कर्मचारियों के पीएफ का पैसा विभाग में जमा करना बंद कर दिया था। इसकी वजह से 1344 कर्मचारियों-मजदूरों का लगभग 2.38 करोड़ रुपये पीएफ के मद में बकाया था। विभाग ने 31 जुलाई 2015 से अब तक के बकाया राशि का ब्याज मांगा।
कंपनी ने इस मद में भी 43 लाख रुपये जमा कर दिया। पूरी राशि 16 सितंबर को विभाग के पास आ गई। अब जैसे ही एचसीएल ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करेगी, भविष्य निधि विभाग कर्मचारियों-मजदूरों के बैंक खाते में राशि भेज देगी। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने कहा कि अब देरी कंपनी प्रबंधन की ओर से हो रही है। इस मामले पर पूर्व क्षेत्रीय आयुक्त अशोक कुमार ने कार्रवाई शुरू की थी, जबकि अंजाम तक वर्तमान आयुक्त तुषारकांत मुखर्जी ने पहुंचाया।
दूसरी कंपनियों के लिए नजीर
इंडिया रिसोर्स लिमिटेड का यह मामला दूसरी कंपनियों के लिए भी नजीर बनेगा। यहां की बड़ी-बड़ी कंपनियों में ऐसे कई मामले हुए हैं, जब ठेका कंपनियां कर्मचारियों-मजदूरों का बकाया राशि लेकर भाग जाती हैं। शिकायत करने पर मूल नियोक्ता कंपनी पल्ला झाड़ देती हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले से अब कर्मचारियों-मजदूरों को मूल नियोक्ता कंपनी से बकाया पैसे का भुगतान मिल सकेगा। भविष्य निधि विभाग के क्षेत्रीय आयुक्त ने बताया कि इस तरह के बकाया मामलों पर त्वरित संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी