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इमानदारी पर कभी सवाल उठने नहीं देना, दादा की यह सीख है इस शख्स की खास पूंजी, जानिए

इमानदारी पर कभी सवाल नहीं उठने देने की दादा की सीख ही अरविंद कुमार पांडेय की खास पूंजी है। इसी पूंजी के सहारे टाटा स्टील के इस कर्मचारी ने बुलंदियों की सीढियां चढीं। उतार-चढाव के बीच कभी मूल्यों से समझौता नहीं किया। पढिए सफरनामा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 01:19 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:20 PM (IST)
इमानदारी पर कभी सवाल उठने नहीं देना, दादा की यह सीख है इस शख्स की खास पूंजी, जानिए
टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट और यूथ इंटक के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंद कुमार पांडेय।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट और यूथ इंटक के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंद कुमार पांडेय ने जब वर्ष 2006 में पहली बार टाटा वर्कर्स यूनियन का चुनाव जीता तो उनके दादा शुभ नारायण पांडेय ने एक सीख दी। कहा कि अरविंद तू गुप्त मतदान से, अपने समर्थकों के वोट से जीत कर आया है इसलिए अपनी इमानदारी पर कभी सवाल मत उठने देना। उनके विश्वास को कभी डिगने मत देना। अपने दादा की इस सीख को अरविंद के जीवन का सबसे यादगार पल मानते हैं जिसे गुरुमंत्र समझ कर आज भी पालन कर रहे हैं। 19 जनवरी को अरविंद पांडेय का जन्मदिन है और आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू :

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मैकेनिकल में हैं डिप्लोमा

अरविंद पांडेय का जन्म 19 जनवरी 1977 को टाटा मेन हॉस्पिटल में हुआ। पिता कामता पांडेय और मां श्यामा पांडेय के तीन बेटा और एक बेटी में अरविंद सबसे बड़े हैं। मिसेज केएमपीएम हाई स्कूल से 10 और मिसेज केएमपीएम इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद वर्ष 1992 में टाटा स्टील के ट्रेड अप्रेंटिस के लिए चयनित हुए। इसके बाद वर्ष 2002 में एसएनआई से मैकेनिकल में डिप्लोमा किया। इसके बाद बतौर ट्रेड अप्रेंटिस टाटा स्टील ज्वाइन किया। टाटा स्टील में स्थायी होने के साथ ही इसी साल इनका विवाह सीमा पांडेय से हुआ। वर्तमान में इनका एक बेटा और दो बेटियां हैं।

बचपन से ही सामाजिक सरोकार में है दिलचस्पी

अरविंद पांडेय को बचपन से ही सामाजिक कामों में काफी रूचि रही है। जब ये गरीब लोगों को बिना कपड़े व जूते के देखते तो बड़ा दुख होता। ऐसे में हर रविवार को आदित्यपुर में रहने वाले टाटा स्टील कर्मचारियों के घर घूम-घूमकर पुराने कपड़े और जूते इक्ट्ठा करते थे और उसे गरीबों में बांट देते थे। इसके लिए अरविंद का काफी नाम हुआ और टाटा स्टील के कम्युनिटी डेवलपमेंट एंड सोशल वेलफेयर की ओर से हेड बाजवा द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं।

बनाया था संयुक्त छात्र संघर्ष समिति

अरविंद ने 12वीं की पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 1997 में अपने एक मित्र के साथ मिलकर संयुक्त छात्र संघर्ष समिति का गठन करते हुए राजनीतिक जीवन में कदम रखा। जब कहीं किसी छात्र को किसी तरह की मदद की जरूरत पड़ती तो उनकी मदद करते।

रिकार्ड मतों से जीता सोसाइटी का चुनाव

अरविंद पांडेय ने ट्रेड यूनियन में कदम रखने से पहले टिस्को मैकेनिकल डिपार्टमेंट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में कमेटी मेंबर के लिए वर्ष 2003 में चुनाव लड़ा और 476 मतों मतों के पुराने रिकार्ड को ध्वस्त करते हुए 616 वोट लाकर विजयी बने। इसके बाद वर्ष 2009 में चेयरमैन का चुनाव लड़ा और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 1157 वोट से हराया।

2006 में पहली बार बने कमेटी मेंबर

संयुक्त छात्र संघर्ष समिति से साथियों की मदद करने की जो ललक अरविंद में थी वह टाटा स्टील ज्वाइन करने के बाद भी जारी रहे। किसी साथी को टीएमएच में बेड चाहिए या बड़े डाक्टर को दिखाना हो, टाटा वर्कर्स यूनियन में कुछ काम हो, तो कोक प्लांट के कर्मचारी अरविंद को खोजते थे। ऐसे में कर्मचारियों ने वर्ष 2006 में अरविंद को कमेटी मेंबर का चुनाव लड़ने की अपील की और भारी बहुमत से विजयी भी हुए। हालांकि इस साल ऑफिस बियरर नहीं बन पाए। लेकिन वर्ष 2006-07 में यूथ इंटक में कदम रखा और 16 अप्रैल 2010 को यूथ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष फिर अक्टूबर 2014 में इंटक के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में वरीय सचिव के पद की जिम्मेदारी भी संभाली।

वर्ष 2012 में पहली बार बने उपाध्यक्ष

टाटा वर्कर्स यूनियन में अरविंद पहली बार वर्ष 2012 में उपाध्यक्ष बने। इस चुनाव में पूर्व अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय भले ही चुनाव हार गए लेकिन इस खेमे से अरविंद उपाध्यक्ष चुने गए। इसके बाद अपने दादा की सीख को याद रखते हुए कर्मचारियों के लिए हमेशा खड़े रहे। फिर चाहे किसी तरह की इंक्वायरी हो, अस्पताल में बेड या रेफरल का मामला हो या फिर कोई और काम, अरविंद सभी के चहेते बन गए। इसका फायदा उन्हें वर्ष 2015 के यूनियन चुनाव में भी मिला और उपाध्यक्ष के पद पर जीत का सिलसिला कायम रखा।

2018 में वर्तमान अध्यक्ष को हराकर बने डिप्टी प्रेसिडेंट

अरविंद पांडेय ने वर्ष 2018 में डिप्टी प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा और इस दौरान उनका सामना हुआ यूनियन के वर्तमान अध्यक्ष संजीव उर्फ टुन्नू चौधरी से। कांटे की टक्कर में अरविंद ने टुन्नू चौधरी को 17 वोट से हराकर पहली बार डिप्टी प्रेसिडेंट बनकर यूनियन के शीर्षस्थ स्थान पर जगह पक्की की। इस दौरान इन्होंने यूनियन में ग्रेड रिवीजन, 500 कर्मचारियों की बहाली सहित कई एतिहासिक काम किए। लेकिन वर्ष 2021 में हुए चुनाव में एक गलत निर्णय से इन्हें अध्यक्ष पद पर हार का सामना करना पड़ा और इन्हें टुन्नू चौधरी ने हराया। हालांकि अरविंद का कहना है कि जीत के बाद हार भी जरूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि आपमें त्रुटियां कहां है और कितने लोग आपके साथ है और कौन पीठ पर छुरा मारने वाला है। हार से काफी सबक सिखने को भी मिला लेकिन संघर्ष करना नहीं छोड़ा।

मेहनत और संघर्ष कभी बेकार नहीं जाती

आज के युवाओं को संदेश देते हुए अरविंद कहते हैं कि मेहनत और संघर्ष के बिना कुछ भी संभव नहीं है। कोई भी युवा जिस किसी क्षेत्र में है, इमानदारी से अपना काम करते रहना चाहिए। जितनी ज्यादा मेहनत करेंगे, सफलता निश्चित है और वो उतनी जल्दी मिलेगी। क्योंकि इमानदारी से किया गया कोई भी काम और मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है।


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