दुरुस्त आए पर तीन साल देर से आए, पढें काॅरपोरेट जगत की अंदरूनी खबरें
टाटा स्टील डाउन स्ट्रीम प्रोडक्ट लिमिटेड (पूर्व में टीएसपीडीएल) के बाद स्टील स्ट्रीप व्हील्स दूसरी कंपनी बनी जहां ठेका कर्मचारी सीधे स्थायी हुए। 60 कर्मचारियों को स्थायी होने का नियुक्ति पत्र मिला लेकिन लोगों की जुबान पर यही बात है कि दुरुस्त आए पर तीन साल देर से आए।
जमशेदपुर, निर्मल। टाटा स्टील डाउन स्ट्रीम प्रोडक्ट लिमिटेड (पूर्व में टीएसपीडीएल) के बाद स्टील स्ट्रीप व्हील्स दूसरी कंपनी बनी जहां ठेका कर्मचारी सीधे स्थायी हुए। 60 कर्मचारियों को स्थायी होने का नियुक्ति पत्र मिला। लेकिन लोगों की जुबान पर यही बात है कि दुरुस्त आए पर तीन साल देर से आए।
क्योंकि वर्ष 2018-19 में ही ग्रेड रिवीजन के समय ठेका कर्मचारियों को स्थायी करने पर कंपनी प्रबंधन और मान्यता प्राप्त यूनियन के बीच समझौता हुआ था। जबकि स्थायी होते-होते तीन साल की देरी हो गई। इसके कारण वैसे ठेका कर्मचारियों की वेटिंग बढ़ गई जो इस आस में काम कर रहे हैं कि उन्हें भी स्थायी होने का मौका मिलेगा। हालांकि अब कंपनी में स्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 125 से अधिक हो गई है। ऐसे में ठेका कर्मचारी भी यही सोच रहे हैं कि अब उनका नंबर आएगा या नहीं। आएगा तो उन्हें और कितना इंतजार करना होगा।
एक ही सवाल, कमिंस में अगला अध्यक्ष कौन
कमिंस कर्मचारी यूनियन में अगला अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल सभी कर्मचारियों की जुबान में है। क्योंकि वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल 31 मार्च को ही समाप्त हो चुका है और सभी कर्मचारी भी नई कार्यकारिणी का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि सक्षम नेताओं की अनुपस्थिति के कारण ड्यूटी देर से पहुंचने पर ऑथराइजेशन का चक्कर जो बढ़ गया है। हालांकि बाहरी कहकर प्रबंधन पहले ही दिवंगत मजदूर नेता राजेंद्र बाबू के बेटे सह कांग्रेसी विधायक अनूप सिंह का पत्ता काट चुका है। प्रबंधन ने यूनियन नेताओं को आपस में अपना अध्यक्ष चुनने का फरमान सुना चुका है लेकिन कमिंस यूनियन के इतिहास में हर बार अध्यक्ष बाहरी नेता ही रहे हैं। लेकिन प्रबंधन की न के बाद यूनियन नेता भी कोई जोखिम मोल लेना नहीं चाहते इसलिए प्रबंधन की हां में हां मिला रहे हैं। क्योंकि सत्ता की चाबी इनके पास है। जिसे इशारा मिला उसका राजा बनना तय है।
टीआरएफ में ग्रेड पर पथरा गई आंखें
टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई टाटा रॉबिंस फ्रेशर (टीआरएफ) में ग्रेड के इंतजार में कर्मचारियों की आंखे पथरा गई है। यहां के ओल्ड ग्रेड के कर्मचारियों का ग्रेड रिवीजन समझौता एक अप्रैल से जबकि न्यू ग्रेड का एक दिसंबर 2015 से लंबित है। अब तो स्थिति ये है कि कर्मचारियों के ग्रेड रिवीजन की एक पूरी अवधि समाप्त होकर अब दूसरा रिवीजन भी लंबित हो गया है। कर्मचारियों को वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में बोनस तक नहीं मिला था। पिछले दिनों जब एक स्थानीय मजदूर नेता ने जब मामले को उठाया और कैंटीन का बहिष्कार हुआ तो प्रबंधन से लेकर मान्यता प्राप्त यूनियन तक ने भरोसा दिलाया था कि जल्द पहल होगी। लेकिन कुछ दिनों बाद मामला शांत पड़ गया। हालांकि यूनियन नेता कंपनी की वित्तीय स्थिति में सुधार होने का दम भर रहे हैं। लेकिन कर्मचारियों को खुलकर बोल भी नहीं रहे हैं कि ग्रेड समझौता कब होगा।
टीडब्ल्यूयू में दो माह की रही गर्मी छुट्टी
गर्मी छुट्टी तो स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मिलती है लेकिन कोविड 19 के कारण इस बार टाटा वर्कर्स यूनियन नेताओं को मिली। यूनियन कार्यालय दो माह तक बंद रहा। अप्रैल के पहले सप्ताह में यूनियन कार्यालय में जो ताला लगा वो अब भी जारी है। कुछ पदाधिकारी पॉजिटिव हुए तो बाकी भी अपने-अपने घरों पर कैद हो गए। हां फोन पर जरूर एक्टिव रहे। झारखंड सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा हुई यूनियन कार्यालय को बंद रखने का आदेश भी बढ़ता गया तो विपक्ष के हाथ में बटेर लग गया। आरोप है कि अलग-अलग विभागों के कैप्टन साहब अपने कार्यक्षेत्र में जाते नहीं। कर्मचारी कोविड 19 से युद्ध करने के लिए ड्यूटी में है और कैप्टन घर पर हैं। इतने डरे हुए हैं कि यूनियन कार्यालय नहीं खोल रहे हैं। जबकि सत्ता पक्ष विपक्ष को सबर रखने की सलाह देकर राजनीति नहीं करने की सलाह दी है।