इंकैब को दिवालिया घोषित करने के खिलाफ एनसीएलएटी में याचिका स्वीकृत
इंकैब इंडस्ट्रीज कंपनी को दिवालिया घोषित करने के आदेश के खिलाफ गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ अपीलीएट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) नई दिल्ली में भगवती सिंह की ओर से दायर याचिका को जस्टिस बंशीलाल भट्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ स्वीकार कर लिया गया है।
जासं, जमशेदपुर : इंकैब इंडस्ट्रीज कंपनी को दिवालिया घोषित करने के आदेश के खिलाफ गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ अपीलीएट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) नई दिल्ली में भगवती सिंह की ओर से दायर याचिका को जस्टिस बंशीलाल भट्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ स्वीकार कर लिया गया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच ने सात फरवरी को आदेश जारी करते हुए इंकैब का पुनरुद्धार नहीं होने और शशि अग्रवाल को लिक्विडेटर घोषित करते हुए कंपनी को दिवालिया करने का आदेश जारी किया था। इस मामले में 270 मजदूरों के प्रतिनिधि के रूप में भगवती सिंह की ओर से 19 मार्च को एनसीएलएटी में आदेश को चुनौती दी गई थी। लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से मामले में सुनवाई नहीं हो पाई। गुरुवार को इस मामले में भगवती सिंह की ओर से अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव, संजीव कुमार मोहंती और पीएस चंद्रलेखा ने ऑनलाइन ही अपना पक्ष रखा। इस दौरान इन्होंने एनसीएलटी द्वारा कंपनी को दिवालिया घोषित करने के आदेश व कंपनी के लिए गठित कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) को चुनौती दी। मामले में मजदूर पक्ष को सुनने के बाद तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दूसरे पक्ष को सुनने के लिए 27 सितंबर का दिन तय किया है।
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झारखंड सरकार भी रखेगी पक्ष
अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने दावा किया है कि इस मामले में झारखंड सरकार भी जल्द ही कोर्ट में अपना पक्ष रखने वाली है। इस मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने राज्य सरकार को एक पत्र भेजा था। मामले में सरकार की ओर से राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग की तरफ से संयुक्त सचिव राम कुमार सिन्हा ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को एक पत्र भेजा है। जिसमें इंकैब कंपनी को पुनर्जीवित करने के संदर्भ में विस्तृत प्रतिवेदन सरकार को देने को कहा है।
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न्यायिक अपीलीय कोर्ट में हमारा मामला स्वीकृत होने के बाद मजदूर से लेकर सुपरवाइजर और गेट कीपर तक, हर स्तर के कर्मचारी खुश हैं। एनसीएलटी कोलकाता से इंकैब को नीलाम करने का जो आदेश आया था, वह अब रुकेगा।
-भगवती सिंह, याचिकाकर्ता