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Ek Safar Mein: बॉलीवुड टीवी इंडस्ट्री पर आधारित है अंशुमन भगत की चौथी पुस्तक 'एक सफर में'

Ek Safar Mein जमशेदपुर के लेखक अंशुमन भगत ने बॉलीवुड इंडस्ट्री पर ‘एक सफर में’ नामक किताब लिखी है जिसमें नए कलाकारों की परेशानी का विस्तृत वर्णन है। अंशुमन ने बताया कि उनकी चौथी किताब 18 दिसंबर तक प्रकाशित होगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 07:06 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 07:06 PM (IST)
Ek Safar Mein: बॉलीवुड टीवी इंडस्ट्री पर आधारित है अंशुमन भगत की चौथी पुस्तक 'एक सफर में'
अंशुमन भगत ने तीन साल के अपने टीवी इंडस्ट्री के अनुभव को किताब का रूप दिया है।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। हमेशा अलग विषय के साथ झारखंड के जमशेदपुर के अंशुमन भगत अपनी किताबों से लोगों को प्रेरणा देते आ रहे हैं। यही वजह है कि आज ये कम उम्र में एक सफल लेखक के रूप में उभरते दिख रहे हैं। अंशुमन की आनेवाली चौथी पुस्तक "एक सफर में" है जिसका प्रकाशन छत्तीसगढ़ के ऑथर्स ट्री पब्लिकेशन के द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है अंशुमन ने बताया यह किताब सभी के बीच 18 दिसंबर को आएगी।

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इन्होंने अपने मुंबई के मित्र बालाजी मिश्रा के सहयोग के साथ मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में काम के अनुभव को सबके बीच किताब के रूप में साझा किया है। बता दें कि अंशुमन भगत और बालाजी मिश्रा ने एक साथ फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत की। इन्होंने बॉलीवुड कास्टिंग से जुड़कर कई नए और जाने -माने कलाकारों को काम दिया। उनके अनुभव और इंडस्ट्री के ज्ञान को उन्होंने इस किताब के जरिए नए कलाकारों को सही राह दिखाने का प्रयास किया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह फिल्म इंडस्ट्री में सरवाइव किया जाता है।

तीन साल का टीवी इंडस्ट्री का अनुभव

इस किताब में ‌जीवन से जुड़े अनेक विषयों पर और कई मुद्दों का खुलकर उल्लेख किया गया है जिससे नए कलाकारो को काफी मदद मिलेगी। अंशुमन भगत ने तीन साल के अपने टीवी इंडस्ट्री के अनुभव को किताब का रूप दिया है। इस किताब में बॉलीवुड कास्टिंग के वास्तविक रूप को दर्शाया गया है। लेखक अंशुमन भगत का मानना है कि ये सबसे गंभीर मुद्दा है क्योंकि लाखों लोग मायानगरी में अपने सपनों को फिल्मी दुनिया का सहारा लेकर पूरा करना चाहते है और कुछ का असामाजिक तत्वों के कारण सपना अधूरा रह जाता है। लाखों नए कलाकार इस किताब के माध्यम से ऐसे लोगों की पहचान कर सकते है जिनसे उन्हें सहयोग मिले सके। एक कलाकार अपने जीवन में प्रेरणा और खुद के प्रति आत्मविश्वास रख सके इसी उद्देश से लेखक अंशुमन भगत ने इस किताब को लिखा है और वास्तविक घटनाओं का भी जिक्र किया है।


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