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मंदी से टाटा मोटर्स की अनुषंगी इकाइयों की टूटी कमर Jamshedpur News

अधिकतर कंपनियों में 75 से 80 प्रतिशत तक उत्पादन कम 60 प्रतिशत स्थायी कर्मचारियों को बैठाया गया काम से हुए बेरोजगार

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 08:44 PM (IST)
मंदी से टाटा मोटर्स की अनुषंगी इकाइयों की टूटी कमर Jamshedpur News
मंदी से टाटा मोटर्स की अनुषंगी इकाइयों की टूटी कमर Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। देश में आई आर्थिक मंदी का असर ऑटो इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। इसके कारण मारूति, मङ्क्षहद्रा, अशोक लेलैंड सहित टाटा मोटर्स के डिमांड पर भी असर पड़ा है। इन कंपनियों के वाहनों की मांग में आई कमी का असर इसकी अनुषंगी इकाइयों पर पड़ रहा है। आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया (आयडा) जो एशिया की सबसे बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में से एक है और यहां की अधिकतर कंपनियां टाटा मोटर्स पर निर्भर है।

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औद्योगिक मंदी के कारण यहां की कंपनियों की भी कमर टूट रही है। टाटा मोटर्स में ब्लॉक क्लोजर की वजह से अनुषंगी इकाइयों के उत्पादन पर सीधा असर पड़ रहा है। स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों के साथ-साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोग के कारोबार पर भी इस मंदी का असर पड़ रहा है और वे चाहते हैं कि कोल्हान में एक कोच फैक्ट्री या एक वृहद ऑटो इंडस्ट्री का निर्माण हो ताकि उनकी टाटा मोटर्स पर निर्भरता कम होगी तो उनकी चिमनियां कभी ठंडी नहीं पड़ेगी और उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों के घर भी हर दिन चूल्हा जलता रहेगा। कुछ उद्यमियों का मानना है कि मार्च 2020 तक मंदी का असर रहेगा इसलिए सरकार से भी जल्द सकारात्मक पहल की मांग की जा रही है। 

मंदी के समय निवेशकों पर ध्यान नहीं देती मदर कंपनियां

सिंहभूम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद सिंह का कहना है कि मंदी के कारण आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में दुर्गति की स्थिति है। इसका मुख्य कारण है मंदी के समय निवेशकों की कंपनी पर मदर कंपनियां द्वारा ध्यान नहीं देना है। यहां की अधिकतर कंपनियां टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड और मङ्क्षहद्रा जैसे कंपनियों पर निर्भर है। लेकिन ये मदर कंपनियां बाजार की वस्तुस्थिति का सहीं तरीके से आकलन नहीं कर पाती। जब बाजार अच्छी रहती है तो ये मदर कंपनियां अपनी अनुषंगी इकाइयों पर भारी-भरकम निवेश कर उत्पादन बढ़ाने का दबाव बनाते हैं। निवेश नहीं करने पर उनका लाइसेंस रद्द करने का डर भी दिखाया जाता है। जब अनुषंगी इकाइयां कर्ज लेकर निवेश करती है। वे ऐसे मशीनें अपनी कंपनियां में लगवाते हैं जिससे दूसरे सामान का उत्पादन नहीं हो सकता। लेकिन मंदी के समय जब उन पर कर्ज का ब्याज देने का दबाव पड़ता है तो ये मदर कंपनियां मुंह फेर लेती है। उन्हें कोई मदद न ही मदर कंपनी से और न ही सरकार से मिलती है जिन्हें करोड़ों रुपये का राजस्व दिया जाता है। स्थिति इतनी भयावाह है कि कंपनी मालिकों के घर चूल्हा तक नहीं जल रहा है। 

कोल्हान में लगे कोच फैक्ट्री, कम हो निर्भरता

प्रमोद सिंह का कहना है कि कोल्हान में अगर एक कोच फैक्ट्री लग जाए तो टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां पर यहां के उद्योगों की निर्भरता कम हो जाएगी। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि इतने वर्षो में यहां एक भी कोच फैक्ट्री नहीं लग पाई। प्रमोद सिंह का कहना है कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत ही गंभीर और संवेदनशील प्रधानमंत्री हैं, अगर राज्य सरकार पहल करे तो यह संभव हो सकता है। इसके लिए राज्य सरकार को दृढ़ संकल्प लेना होगा। लेकिन यह हमारा भी दुर्भाग्य है कि जहां अलगाववादी हैं और जो राष्ट्र को तोडऩे की बात करते हैं, बड़ी कंपनियां वहां बड़े निवेश की बात करते हैं? उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या वे भी राष्ट्र विरोधी बात करेंगे तो ही यहां निवेश हो पाएगा? उन्होंने सरकार से आदित्यपुर क्षेत्र में एक लार्ज सेक्टर वाली मैन्युफैक्चङ्क्षरग इंडस्ट्री की मांग की है। 

 भारी वाहनों का एक्सल लोड बढऩा भी मंदी की मुख्य वजह

आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल के अनुसार भारी वाहनों का एक्सल लोड़ बढऩा भी मंदी की एक मुख्य वजह है। देश में अगर औसतन मान ले कि एक करोड़ भारी वाहन हैं तो चार माह पूर्व केंद्र सरकार ने सभी वाहनों के एक्सल लोड़ में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। नतीजन नए लोड के साथ 25 लाख वाहन बाजार में आ गए। अब भारी वाहन वाले ज्यादा माल लोड कराकर चल रहे हैं। इससे भी भारी वाहनों के डिमांड में कमी आई है। केंद्र सरकार को चाहिए कि देश में जल्द स्क्रैप नीति लाए ताकि 20 वर्षो से ज्यादा समय से सड़क पर चल रहे जर्जर वाहनों को हटाया जा सके। इससे भारी वाहनों की डिमांड भी बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मदद मिलेगी क्योंकि जर्जर वाहन वातावरण को ज्यादा प्रदूषित करते हैं। 

ये माल की होती है टाटा मोटर्स को सप्लाई

कास्टिंग, फोर्जिंग, मशीन शॉप, रबर फैक्ट्री, ब्रेक्स, बेयङ्क्षरग, ग्लास सहित अन्य। 

क्या कहते हैं उद्यमी

आयडा की 70 प्रतिशत कंपनियां टाटा मोटर्स पर निर्भर है। देश में अप्रैल 2020 से बीएस-6 आने वाला है और टाटा मोटर्स में भारी मात्रा में बीएस-4 बना लिया है जिसका आर्डर अब उसके पास नहीं है। इसका भी असर सभी कंपनियों पर पड़ रहा है। अधिकतर कंपनियों में उत्पादन 60 से 80 प्रतिशत तक घट चुका है। स्टील के दाम में भी छह से सात रुपये प्रति किलोग्राम कम हो गए हैं। इसका असर सभी कंपनियों पर पड़ रहा है। 

कृष्णा शर्मा काली, उद्यमी, राधे-राधे स्टील इंडस्ट्री

आयडा की अधिकतर कंपनियां टाटा मोटर्स पर ही निर्भर है। जब भी टाटा मोटर्स में ब्लॉक क्लोजर होता है, आयडा की अधिकतर कंपनियां बंद हो जाती है। उत्पादन ठप होने से जो कंपनियां टाटा स्टील से माल लेते थे, उस पर असर पड़ रहा है। उम्मीद है कि जब देश में नए वर्जन का बीएस-6 मॉडल की गाडिय़ां बाजार में आएंगी तो बाजार में मांग और डिमांड बढ़ेगी

नीरज संघी, उद्यमी, आदया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड

ऑटो इंडस्ट्री में पांच-सात वर्षो में स्लो डाउन आता है लेकिन इतनी भयावाह स्थिति नहीं है जितनी दिखाई या बताई जा रही है। हां ऑटो इंडस्ट्री में आई मंदी से उत्पादन 40 प्रतिशत तक जरूर कम हुआ है और हालात ठीक होने में कुछ समय लगेगा।

इंदर अग्रवाल, आयडा अध्यक्ष

ऑटो सेक्टर में कुछ वर्षो में मंदी आते रहते हैं लेकिन इससे हताश होने की जरूरत नहीं है। यह अवसर है उन उद्यमियों के पास जो मंदी से प्रभावित हुए हैं। उन्हें बाहर निकलकर अपने लिए नया बाजार तलाशने की जरूरत है। जब तक वे अपनी निर्भरता टाटा मोटर्स पर कम नहीं करेंगे, समस्या ऐसी ही बनी रहेगी। 

अशोक खेतान, उद्यमी 


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