इनके संघर्ष ने थर्ड जेंडर को दिलाई पहचान,मिली ये सुविधाएं
समाजसेवी अमरजीत सिंह थर्ड जेंडर के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके प्रयास से ही पूर्वी सिंहभूम जिले में पहली बार थर्ड जेंडर का आधार कार्ड, पैनकार्ड और राशनकार्ड बनाना शुरू हुआ।
जमशेदपुर [अमित तिवारी]। लौहनगरी में युवा समाजसेवी अमरजीत सिंह थर्ड जेंडर के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके प्रयास से ही पूर्वी सिंहभूम जिले में पहली बार थर्ड जेंडर का आधार कार्ड, पैनकार्ड और राशनकार्ड बनाना शुरू हुआ। जिले में इस वंचित समुदाय के 50 लोगों को यह सुविधाएं मिल चुकी हैं। अब अमरजीत सिंह झारखंड में थर्ड जेंडर वेलफेयर बोर्ड गठित करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
अमरजीत सिंह ने थर्ड जेंडर के अधिकार की लड़ाई वर्ष 2015 में शुरू की। उत्थान नामक संस्था बनाकर इस वंचित समुदाय के लोगों को जोड़ा। अमरजीत सिंह कहते है कि ये भी समाज के हिस्सा हैं, लेकिन इन्हें दूसरे नजरिए से देखा जाता है। इस खाई को पाटने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम और हस्ताक्षर अभियान चलाए गए। पहले यह समझने की कोशिश की गई कि लोग थर्ड जेंडर के बारे में क्या सोचते हैं। पाया गया कि अधिकतर लोगों के मन में गलत धारणाएं हैं। इसे दूर करने के लिए सभी धर्म गुरुओं की सभा बुलाई गई, पर कोई शामिल नहीं हुआ। बावजूद अमरजीत सिंह ने हार नहीं मानी। संघर्ष पथ पर आगे बढ़ते रहे।
समानता के लिए समाजसेवा से जुड़े किन्नर
थर्ड जेंडर को पहचान दिलाने व समाज में उनके खिलाफ फैली गलत धारणाओं को दूर करने के लिए अमरजीत सिंह ने इस समुदाय के लोगों को भी समाजसेवा से जोड़ा। इस दौरान थर्ड जेंडर के लोगों ने गरीबों के बीच फल और नाश्ता वितरण किया। टूटी हुई सड़कों की मरम्मत की। स्कूलों में जाकर छात्र-छात्राओं के बीच किताब-कॉपी बांटे। उनका यह प्रयास रंग लाने लगा। इनके प्रति समाज की धारण बदलने लगी। यही नहीं अमरजीत सिंह के प्रयास से थर्ड जेंडर के कई लोग रोजगार के लिए ठेला पर दुकान लगाने लगे।
रांची में निकाली गई रैली
अमरजीत सिंह की पहल पर एक दिसंबर 2018 को रांची में पहली बार रैली निकाली गई। इसमें थर्ड जेंडर और एलजीबीटीक्यू के अधिकारों की लिए आवाज उठाई गई। रैली में झारखंड भर से लोग शामिल हुए थे। इस लड़ाई को लडऩे में रजिया, डोली, बेबो, निरज सिंह, आनंद सिंह ने अहम भूमिका अदा की।