Jharkhand Assembly Election 2019 : चुनाव आयोग निकला चुस्त, सियासी दल अभी सुस्त, ये रहा हाल Jamshedpur News
Jharkhand Assembly Election 2019. पूर्वी सिंहभूम जिले में कई विधानसभा सीटों पर आपस में उलझे हैं सभी दल। मौजूदा विधायकों के बारे में भी तरह-तरह की चर्चाएं जारी हैं।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड विधानसभा का चुनाव नवंबर-दिसंबर में होगा, यह सभी को मालूम था। चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी कर रखी थी। उसने तय समय पर अधिसूचना भी जारी कर दी, लेकिन सियासी दल इस मामले में काफी सुस्त रह गए।
भाजपा की तैयारी तो लोकसभा चुनाव में ही टाइट थी, लेकिन वह भी विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार तय नहीं कर पाया। उम्मीदवार की बात तो दूर, आजसू के साथ गठबंधन का स्वरूप क्या होगा, तय नहीं हो सका है। जमशेदपुर पूर्वी व पश्चिमी विधानसभा को छोड़ दें तो मतदाताओं के मन में शेष सभी विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों को लेकर कयास ही चल रहे हैं। यह और बात है कि राजनीति में किसी भी सीट के लिए कुछ भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन बहरागोड़ा और जुगसलाई के साथ घाटशिला व पोटका विधानसभा में भी उम्मीदवारों के नाम को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है।
ये लग रहे कयास
कहने वाले तो जमशेदपुर पश्चिम से भी मौजूदा विधायक व झारखंड सरकार के मंत्री सरयू राय के टिकट कटने और कांग्रेसी बन्ना गुप्ता के भाजपा से चुनाव लडऩे की चर्चा हो रही है। सरयू राय मंत्री हैं, मजबूत पकड़ रखते हैं, इसलिए भविष्य बताएगा कि क्या होगा। बहरागोड़ा में भी समीर महंती के लिए कुछ इसी तरह की चर्चा चल रही है। कहा जा रहा है कि भाजपाई समीर को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे तीर-धनुष लेकर मैदान में कूद जाएंगे। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन इस सीट को लेकर इतने आश्वस्त हैं कि उन्होंने विद्युत वरण महतो और मौजूदा विधायक कुणाल षाड़ंगी को अपनी प्रयोगशाला की उपज करार देते हुए कह दिया कि वह इस सीट से एक और विधायक देंगे।
विपक्षी दलोंं की बात निराली
लोकसभा चुनाव के पहले से महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लडऩे का दंभ भरने वाला विपक्ष बिखरता नजर आ रहा है। जदयू और आम आदमी पार्टी पहले से एकला चलो की रणनीति घोषित कर चुके हैं। अब झारखंड विकास मोर्चा भी अलग राह पकडऩे की बात कहकर महागठबंधन की हवा निकाल रहा है। यह अलग बात है कि अंतिम समय में क्या होगा, कोई नहीं जानता। जिले में कांग्रेस और झामुमो में सबसे ज्यादा पेच घाटशिला सीट पर फंसा है। यहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू बार-बार हर हाल में चुनाव लडऩे की बात दोहरा रहे हैं। ऐसे में झामुमो के जिला अध्यक्ष व पूर्व विधायक रामदास सोरेन के लिए विकट स्थिति बनती दिख रही है। अब तक सोरेन ने सार्वजनिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की है, लेकिन गांव गांव घूमकर झामुमो से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। वह इस सीट पर दावा छोडऩे की स्थिति में नहीं हैं। सवाल है कि यदि बलमुचू चुनाव लड़ गए, तो घाटशिला का क्या होगा। भाजपा को वाकओवर मिलेगा या नहीं?
हरियाणा-महाराष्ट्र से विपक्ष के नेता उत्साहित
हरियाणा व महाराष्ट्र में जिस तरह के चुनावी नतीजे आए हैं, उससे जमशेदपुर के विपक्षी नेता उत्साहित हैं। इन्हें इस बात की उम्मीद है कि इन दोनों राज्यों की तरह उन्हें भी बैठे-बिठाए सीट मिल जाएगी। हालांकि इस उम्मीद में विपक्षी नेता इस बात की चर्चा नहीं कर रहे हैं कि इन दोनों राज्यों में विपक्षी दलों के नेताओं की भूमिका क्या थी। यहां के स्थानीय विपक्षी दलों के नेता चार साल तक साइलेंट जोन में रहे। छह माह पहले नींद से जागे, लेकिन उनमें वैसी कुलबुलाहट या सक्रियता अब भी नहीं दिख रही है, जो चुनावी मोड में होनी चाहिए थी। इसके उलट जमशेदपुर सीट के मौजूदा विधायक और इनके कार्यकर्ता पहले दिन से अब तक चुनावी मोड में दिख रहे हैं।