नौकरी करनेवाला नहीं, देने वाला बनें;जानिए सिंहभूम चैंबर के पूर्व अध्यक्ष एके श्रीवास्तव के जीवन के अनछुए पहलू
नौकरी करने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बने और जीवन में कुछ अलग करने की सोचे। यह मूलमंत्र है एके श्रीवास्तव का। इन्होंने बचपन में कंपनी खोलने का सपना देखा था। उसे अपनी मेहनत एवं लगन से साकार किया। आज दो कंपनियां है। जानिए विस्तार से।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अवधेश कुमार श्रीवास्तव को सभी एके श्रीवास्तव के नाम से जानते हैं। जमशेदपुर ही नहीं बल्कि झारखंड में इनका नाम बिल्कुल जाना-पहचाना है। ये कोल्हान के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन सिंहभूम चैंबर के दो बार अध्यक्ष बने। इसके अलावा लायंस क्लब, इंडियन इंडस्टीट्यूट ऑफ मेटल फेडरेशन, बिल्डर एसोसिएशन, इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित दर्जन संस्थानों में अपना कुशल नेतृत्व देकर नई ऊंचाइयां दी। तो आइए जानते हैं कौन हैं एके श्रीवास्तव और इनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू।
सामान्य रहा प्रारंभिक जीवन
एके श्रीवास्वत का जन्म 18 जनवरी 1938 में बिहार के सिवान जिले के लाला भटकन गांव में हुआ था। इनके पिता राम प्रताप नारायण लाल थे जो सिवान के जिला कोर्ट में काम करते थे और मां का नाम राजकुमारी देवी था। अवधेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जिरादेई स्थित महेंद्र हाई स्कूल से पूरी की जबकि वर्ष 1958 में गर्वेंनमेंट डिग्री कॉलेज, रामपुर से स्नातक की शिक्षा पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद अवधेश अपनी बुआ के यहां पटना आ गए और मात्र 15 दिनों में ही इनकी नौकरी पटना सचिवालय के अंतर्गत उद्योग विभाग में लग गई। कोलकाता में छह माह के प्रशिक्षण के बाद उद्योग विभाग में एक्सटेंशन सुपरवाइजर का पद मिला।
1969 में तबादले पर आए जमशेदपुर
अवधेश कुमार श्रीवास्तव पहली बार वर्ष 1969 में तबादले पर जमशेदपुर आए और एक साल अनुमंडल विभाग में काम किया। वर्ष 1972 में अवधेश का तबादला आदित्यपुर डेवलपमेंट ऑथिरिटी (आयड़ा) में बतौर जनसंपर्क पदाधिकारी के रूप में हो गया। इन्होंने इस पद पर 12 वर्षों तक काम किया लेकिन सरकारी विभाग से जब इन्हें तबादला किया गया तो इन्हें जमशेदपुर शहर इतना अच्छा लगा कि इन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से 1985 में इस्तीफा देकर स्वेच्छिक रिटायरमेंट ले लिया।
20 हजार रुपये लिया कर्ज, शुरू की खुद की फोर्जिंग कंपनी
एके श्रीवास्तव बताते हैं कि रामपुर जिले में एक कंपनी हुआ करती थी जिसका संचालन जेपी श्रीवास्तव नाम के लिए एक बड़े उद्योगपति करते थे। वे इतने धनवान थे कि बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दिया करते थे। बकौल एके श्रीवास्तव, मैं इससे काफी प्रभावित हुआ और बचपन में ही तय कर लिया था कि मैं अपनी कंपनी खोलूंगा। सरकारी नौकरी से स्वेछिक रिटायरमेंट लेने के बाद मैंने वर्ष 1985 में ही अपने नाम से फोर्जिंग कंपनी खोली। जनसंपर्क विभाग में काम करने का फायदा मुझे मिला और शहर के बड़े उद्यमी जैसे डीए मदन व नकुल कमानी से 10-10 हजार रुपये कर्ज लिया और खुद की कंपनी शुरू की। उस दौर में टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के फाेर्जिंग के काफी काम होते हैं जिन्हें हमारी कंपनी ने करना शुरू किया। आज एके फोर्जिंग की आदित्यपुर सहित इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट के अंदर भी एक कंपनी संचालित है।
विरासत में पिता से मिली सामाजिक काम करने की प्रेरणा
एके श्रीवास्तव बताते हैं कि सामाजिक क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मुझे मेरे स्वर्गवासी पिता राम प्रताप नारायण लाल से मिली। कंपनी में काम के बावजूद मैं सामाजिक काम के लिए समय निकाल लेता। इनके नेतृत्व में जमशेदपुर में इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स का गठन हुआ और एके श्रीवास्तव पहले संस्थापक अध्यक्ष बने। इसके अलावा सिंहभूम चैंबर, इंडो अमेरिकन चैंबर, लायंस क्लब सहित कई संगठनों से जुड़कर सामाजिक काम करते रहे और अपनी पूरी जिम्मेदारी अपने बेटों को सौप दी। वर्तमान में इनकी कंपनी का संचालन बड़े बेटे राजीव रंजन (मुन्ना) करते हैं। जबकि मंझला बेटा इंडियन नेवी में कमांडर के पद पर काम किया। सबसे छोटा बेटा राजेश राजन टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट में जनसंपर्क पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
- इन संस्थानों का किया नेतृत्व
- 1987-88 : आदित्यपुर लायंस क्लब के डिस्ट्रिक गर्वनर
- सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में सहायक सचिव, महासचिव, उपाध्यक्ष और दो बार वर्ष 1993-95 व 2002-04 तक अध्यक्ष रहे।
- 25 वर्षों तक सीआईआई गर्वेनिंग बॉडी में रहे।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मटेरियल मैनेजमेंट के नेशनल काउंसल के पद पर काम किया।
- जमशेदपुर बिल्डर एसोसएिशन में वर्ष 2013-14 में अध्यक्ष रहे और वर्तमान में संस्था के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।
- वर्ष 2017-18 में इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक अध्यक्ष बने।
- जमशेदपुर सिटीजन फोरम के पिछले 20 वर्षो से अध्यक्ष के रूप में कार्यरत।
- श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान के वर्तमान में अध्यक्ष।
- वर्ष 2014-18 तक अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राजनीतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष।
- अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में वर्ष 2018 से कार्यरत।
- विश्व हिंदू परिषद के सक्रिय सदस्य।
- धर्म यात्रा महासभा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष।
जीवन का यागदार पल
बकौल एके श्रीवास्तव, नौकरी की तलाश में जब पटना पहुंचा तो अपने रिश्तेदार के यहां रहता था। उस समय पॉकेट में पैसे नहीं होते थे तो मैं 15 दिनों तक लगतार गुलजार बाग से 15 किलोमीटर पैदल चलकर सचिवालय जाता था। वह समय मुझे आज भी याद है कि मैं जीवन में बेहतर करने का सपना संजोए हर दिन अपनी यात्रा तय करता था।
युवाओं को संदेश
समाज का कोई भी जात, धर्म या वर्ग का व्यक्ति क्यों न हो, यदि वे तकलीफ में हैं और उन्हें मदद की जरूरत है तो आगे बढ़कर मदद करें। इससे सामाजिक संतुलन बरकरार रहेगा। नौकरी करने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बने और जीवन में कुछ अलग करने की सोचे। अपने बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाएं और जीवन में बचत जरूर करें। ऐसा कर आप अपने स्वजन और देश का ही भला करेंगे।