जीप में बनी सहमति, अगले ही दिन बन गई आजसू
इस संगठन का आंदोलन इतना प्रभावी हुआ कि केंद्र सरकार को वार्ता करनी पड़ी। इस संगठन के गठन की कहानी बड़ी रोचक है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड अलग राज्य आंदोलन की मांग 1928 में छोटानागपुर उन्नति समाज ने शुरू की थी, लेकिन इसे अंजाम तक पहुंचाया आजसू ने। आसू (ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन) के तर्ज पर आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) का गठन 22 जून 1986 को हुआ था। इस संगठन का आंदोलन इतना प्रभावी हुआ कि केंद्र सरकार को वार्ता करनी पड़ी। इस संगठन के गठन की कहानी बड़ी रोचक है।
आजसू के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा बताते हैं कि वह तारीख थी 1986 के 21 जून की। उस दिन अचानक बारीपदा (ओडिशा) जाने का कार्यक्रम बन गया। सुबह-सुबह सोनारी से जीप नंबर-281 में सवार होकर रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) होते हुए हम घाटशिला बहरागोड़ा होते हुए चित्रड़ा चल जा रहे थे। आस्तिक महतो गाड़ी चला रहे थे। आगे झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो बैठे थे, जबकि पीछे मैं (सूर्य सिंह बेसरा), शैलेंद्र महतो, डॉ. पशुपति प्रसाद महतो, सुसेन महतो, मोहन कर्मकार आदि बैठे थे। चलते-चलते रास्ते में मैंने छात्र संगठन के मुद्दे पर बातें छेड़ दी। विचारों का आदान-प्रदान हुआ। तर्क-वितर्क के बीच रास्ते भर बहस होती रही। मैंने असम के आसू का जिक्र करते हुए छात्र संगठन का नाम ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का प्रस्ताव रखा। इस पर डॉ. पशुपति प्रसाद महतो और निर्मल महतो ने सहमति जताई, जबकि शैलेंद्र महतो का प्रस्ताव था झारखंड छात्र मोर्चा होना चाहिए। तब तक दोपहर हो चुकी थी। हम लोग बारीपदा से आगे चित्रड़ा गांव पद्मलोचन महतो के घर पहुंच गए थे। झारखंडी रीतिरिवाज के अनुरूप पद्मलोचन की विधवा बेटी जैसे ही शैलेंद्र महतो के हाथें में लोटा-पानी थमा रही थी, हाथ से छूट कर जमीन पर गिर गया। ऐसा होना अशुभ माना जाता है। इस घटना के साथ ही डा. पशुपति प्रसाद महतो का प्रस्ताव शैलेंद्र महतो के लिए विधवा विवाह खारिज हो गया। हमलोग निराश होकर शाम तक जमशेदपुर लौट आए। दूसरे दिन 22 जून 1986 मैंने आसू के तर्ज पर आजसू का प्रारूप तैयार किया और सोनारी स्थित झामुमो के कार्यालय में सुबह 11 बजे बैठक में प्रस्तुत किया। सर्वसम्मति से आजसू का प्रस्ताव पारित हुआ। इस प्रकार आजसू की स्थापना हुई, जिसके सिंहभूम जिला के पहले अध्यक्ष सुसेन महतो, सचिव गोपाल बनर्जी और कोषाध्यक्ष विद्युत वरण महतो को मनोनीत किया गया। आजसू के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा, संरक्षक निर्मल महतो और डा. पशुपति प्रसाद महतो पर्यवेक्षक बने।