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Air India Sale : रतन टाटा को मिले 141 प्लेन में 23 खराब, ठीक करने में लगेंगे 1800 करोड़ रुपए

Air India Sale हाल ही में रतन टाटा की टाटा समूह ने एयर इंडिया को 1800 करोड़ रुपए में खरीद लिया। लेकिन आगे की चुनौतियां बरकरार है। इस खरीद में टाटा समूह को 141 प्लेन मिले हैं जिसमें 23 खराब हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 11:15 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 11:15 AM (IST)
Air India Sale : रतन टाटा को मिले 141 प्लेन में 23 खराब, ठीक करने में लगेंगे 1800 करोड़ रुपए
रतन टाटा को मिले 141 प्लेन में 23 खराब, ठीक करने में लगेंगे 1800 करोड़ रुपए

जमशेदपुर, जासं। टाटा को 68 वर्ष बाद एयर इंडिया वापस तो मिल गई, लेकिन इसे आसमान में पूरी तरह सुचारू तरीके से उड़ाने में कम से कम 3000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। 

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एयर इंडिया और एयर इंडिया (एआइ) एक्सप्रेस मिलाकर 141 विमान हैं, जिसमें 118 विमान ही तत्काल उड़ान भरने लायक हैं। ऐसे में टाटा संस को 23 विमानों की मरम्मत पर करीब 1800 करोड़ रुपये और अन्य विमानों पर 1200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि टाटा समूह को दो वर्ष में 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।

अप्रैल 2022 से ही मिलेगा पूरा कार्यभार

बताया जाता है कि टाटा को एयर इंडिया का कार्यभार अप्रैल 2022 से ही मिल सकता है। तब तक एयर इंडिया की देखभाल अर्नेस्ट एंड यंग पर रहेगी। फिलहाल एयर इंडिया के पास 58 एयरबस, A320 फैमिली प्लेन, 14 बोइंग 777, 22 B787 ड्रीमलाइनर और एआइ एक्सप्रेस के 24 B737 एयरवर्थ समेत कुल 118 विमान सही स्थिति में हैं।

अब सरकार एआइ के खराब हो चुके विमानों को उड़ने लायक बनाने पर खर्च नहीं करेगी, यह तय है। यह काम टाटा समूह को ही करना है। इसके अलावा टाटा की एयरएशिया इंडिया में ए320 और विस्तारा में बोइंग 787, बी737 और ए320 विमान हैं। हालांकि एयर इंडिया में ये भी शामिल हो जाएंगे, लेकिन इसमें भी समय लगेगा।

टाटा की रणनीति पर निर्भर करेगा पूरा मामला

अब यह टाटा की रणनीति पर निर्भर करेगा कि वह इसे किस तरीके से चलाएगा। एक ओर कहा जा रहा है कि टाटा एआइ एक्सप्रेस और एयरएशिया इंडिया को विलय करके एक अलग ग्रुप में चलाएगा या एआइ और विस्तारा को मिलाकर संचालन करेगा। फिलहाल, टाटा को इस अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए एक सप्ताह में कुछ तय करने के लिए कहा गया है।

इसके बाद अधिग्रहण की शर्तों को पूरा करते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), भारतीय विमानन आयोग (सीसीआई), उधारदाताओं, पट्टेदारों और अन्य तीसरे पक्ष के विक्रेताओं जैसी नियामक एजेंसियों से मंजूरी लेनी होगी।

टाटा को कोई परेशानी नहीं होगी

बताया जाता है कि इन सब प्रक्रियाओं को अपनाने में टाटा समूह को कोई परेशानी नहीं होगी। उसके पास पहले से चार एयरलाइंस हैं, जिसे संचालित करने का पर्याप्त अनुभव भी है। बॉम्बे हाउस के प्रतिनिधियों के साथ संक्रमण प्रबंधन का एक निकाय रखा जाएगा। फिलहाल टाटा 2,700 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी और बैलेंस शीट पर पूरे ब्योरे का कामकाज निपटाएगा।


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