गांव में घुसने से रोका, अब पेड़ तले कट रहा दिन-पुलिया के नीचे रात
गांव वाले घुसने नहीं दे रहे हैं। कहते हैं 14 दिन बाहर ही रहो। इस वजह से पेड़ के नीचे मजबूरी में रह रहे हैं।
चाईबासा (सुधीर पांडेय)। पश्चिमी ङ्क्षसहभूम के झींकपानी प्रखंड के नया गांव के छह युवक दोपहरी में पेड़ के नीचे रहने और रात पुलिया के नीचे गुजारने को मजबूर हैं।
घर के लोग पेड़ से 200 मीटर दूरी पर भोजन के पैकेट छोड़ जाते हैं। परिवार वालों के जाने के बाद ये लोग पैकेट लेकर पेड़ के नीचे आते और खाते हैं। गांव के लोग इनके साथ छूआछूत जैसा व्यवहार कर रहे हैं। गांव में इनके प्रवेश पर पाबंदी हैं। करीब 10 दिनों से ये लोग इसी तरह की प्रताडऩा झेलकर अपनी क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर रहे हैं। नयागांव की सीमा के बाहर जंगल में एक पेड़ के नीचे तिरपाल लगाकर बैठे इन युवकों पर जब जागरण प्रतिनिधि की नजर पड़ी तो इस तरह से रहने का कारण पूछा।
नवी मुंबई गए थे कमाने, 19 मई को लौटे
एक युवक ने कहा, हम लोग नयागांव के रहने वाले हैं। कमाने के लिए नवी मुंबई गये थे। 19 मई को ट्रेन से अन्य प्रवासी मजदूरों के साथ चाईबासा लौटे। प्रशासन ने होम क्वारंटाइन का निर्देश देकर गांव भेज दिया था। गांव वाले घुसने नहीं दे रहे हैं। कहते हैं 14 दिन बाहर ही रहो। इस वजह से पेड़ के नीचे मजबूरी में रह रहे हैं। घर वाले भोजन देते आते हैं तो गांव का मुंडा व अन्य लोग उन्हें भी धमकाते हैं। कहते हैं अगर संपर्क में आये तो गांव में घुसने नहीं देंगे।
200 मीटर दूर भोजन रख जाते हैं परिवार के लोग
अब 200 मीटर पहले खाना छोड़कर परिवार के लोग चले जाते हैं। शुक्रवार को बारिश के साथ बिजली कड़क रही थी। जान को खतरा देखकर हम लोग सामने पुलिया के नीचे सोने चले गये। रात में वहां एक जहरीला सांप आ गया। तुरंत नजर पड़ गयी तो मार दिया नहीं तो सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं। जंगली जानवर व सांप-बिच्छू से बचने के लिए रात में साउंड सिस्टम बजाकर सोते हैं। किसी तरह 10 दिन कट गए हैं। चार दिन और बचे हैं। मानकी-मुंडा गांव में घुसने नहीं दे रहे, क्या करें? दिन में पेड़ के नीचे और रात में सोने के लिए पुलिया के नीचे चले जाते हैं।
रेड जाेन से आनेवालों को क्वारंटाइन सेंटर में रखने को लेक आनाकानी
नया गांव में हैदराबाद से भी दो प्रवासी मजदूर 21 मई को 6500 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से भाड़ा लगाकर चाईबासा पहुंचे। प्रशासन ने एक को होम क्वारंटाइन व दूसरे को स्टेट क्वारंटाइन में रहने का निर्देश दिया था। इन दोनों को भी गांव वालों ने प्रवेश करने नहीं दिया। ग्रामीणों का तर्क था कि क्वारंटाइन सेंटर में जगह नहीं है। जो लोग सेंटर में रह रहे हैं, वो ग्रीन जोन से आये हैं। इनके साथ रेड जोन के लोगों को नहीं रहने दिया जायेगा। इस वजह से उक्त दोनों प्रवासी मजदूर भी फिलहाल पेड़ के नीचे ही रहने को मजबूर हैं।
शिकायत नहीं मिली है। इस वजह से मामला संज्ञान में नहीं आया। सभी को सरकारी व्यवस्था के तहत क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। गांव वालों को भी समझाने का प्रयास करेंगे। इनके रहने व खाने की व्यवस्था की जाएगी। - प्रभात रंजन चौधरी, बीडीओ, झींकपानी
18,261 लोग अब तक लौटे हैं अपने गांव व घर
20 राज्यों से पश्चिमी सिंहभूम लाये गये प्रवासी
आंध्र प्रदेश - 1,092
बिहार - 72
छत्तीसगढ़ - 275
गुजरात - 6,580
हरियाणा - 66
तेलंगाना - 816
कर्नाटक - 1,865
केरल - 207
मध्यप्रदेश - 95
महाराष्ट्र - 2,621
ओडिशा - 1,452
पंजाब - 102
राजस्थान - 143
तमिलनाडु - 1,732
पश्चिम बंगाल - 957
उत्तर प्रदेश - 140
नई दिल्ली - 36
गोवा - 08
उतराखंड - 01
हिमाचल प्रदेश - 01
झारखंड के अन्य जिले - 544