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एडीएल के गोल्डन जुबिली समारोह में आए थे बालू गारू

उनके आकस्मिक निधन से जमशेदपुर के दक्षिण भारतीय समाज में शोक की लहर है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 01:39 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 01:39 AM (IST)
एडीएल के गोल्डन जुबिली समारोह में आए थे बालू गारू
एडीएल के गोल्डन जुबिली समारोह में आए थे बालू गारू

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : संगीत सम्राट व महान गायक एसपी बाला सुब्रमण्यम को लोग दक्षिण भारत में बालू गारू यानी बालूजी कहकर पुकारते थे। उनके आकस्मिक निधन से जमशेदपुर के दक्षिण भारतीय समाज में शोक की लहर है। बालू गारू एडीएल सोसाइटी साकची स्थित परिसर में आयोजित गोल्डन जुबिली समारोह के कार्यक्रम में अपनी आवाज का जादू बिखरने वर्ष 1974 के मार्च में पहुंचे थे।

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कार्यक्रम के बाद उस समय के तत्कालीन कमेटी के अध्यक्ष एमआर मूर्ति व महासचिव एमजेसी प्रसाद का शुक्रिया अदा किया तथा कहा था कि जमशेदपुर में भी आंध्र समाज इतनी अच्छी तरह से बसता है, इसकी जानकारी नहीं थी। उसी समय उन्होंने सोसाइटी के शताब्दी समारोह में आने की इच्छा प्रकट की थी। इसी इच्छा के कारण वर्ष 2017 में एडीएल सोसाइटी के महासचिव मज्जी रवि के नेतृत्व में सूर्या राव, एम नागेश, एसवी दुर्गा प्रसाद शर्मा, महीधर श्याम, जीवीएस कल्याण ने हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में चल रहे संगीत कार्यक्रम स्वराभिषेकम के सेट पर उनसे मुलाकात की तथा शताब्दी समारोह में आने का न्योता दिया। उस समय उन्होंने कहा कि जब तिथि तय हो जाए तो एक बार सूचित कीजिए। जमशेदपुर से पहुंचे सभी सदस्यों ने उन्होंने अपने व्यस्ततम समय में से 15 मिनट निकाला। यहां तक आने के लिए सभी का शुक्रिया भी अदा किया। उनके निधन पर दक्षिण भारत के सभी संस्थाओं व कलाकारों ने शोक संवेदना प्रकट की है।

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बालू गारू को विनम्र श्रद्धांजलि

- हरदिल अजीत कलाकार का निधन होना कितना दुखदाई है, इसे बताना मुश्किल है। हमेशा दूसरे कलाकारों तथा समाज की भाषा को लेकर जागरुक करने का कार्य कर रहे थे।

- बी बापूजी

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-शंकरा भरणम का वह गीत आज मेरे कानों में गूंजता है, उनके जैसा फनकार मिलना मुश्किल है। ऐसे आवाज के जादूगर का न रहना हमारे लिए कष्टदायक है।

- बी जानकी

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-एडीएल सोसाइटी के कार्यक्रम में उनकी आवाज को सुनने का मौका पास से मिला। यह कार्यक्रम बता रहा था लोगों में बालू गारू के प्रति कितना सम्मान है।

- सी गणेश राव

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-उनका हर एक कार्यक्रम आज भी मैं देखता हूं। वे हर कार्यक्रम में एक नई सीख देतें हैं। संस्कारों के बारे में बतातें हैं। युवाओं के बीच भी उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

- वाई ईश्वर राव -रोमांटिक गीत हो या फिर देशभक्ति गीत या फिर भजन हर गाने में पूरी तरह से फीट। उन्होंने कई नवोदित कलाकारों को दक्षिण भारत की जनता के समक्ष पेश किया।

- वाई के लक्ष्मी


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