Jharkhand : आदित्यपुर की कंपनियों का एलान, चीन से नहीं मंगाएंगे 85 करोड़ का कच्चा माल Jamshedpur News
Business News. कोरोना वायरस को लेकर चीन के रवैये की वजह से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां भी अब चीन से व्यापार नहीं करना चाहतीं।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। कोरोना वायरस को लेकर चीन के रवैये की वजह से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां भी अब चीन से व्यापार नहीं करना चाहतीं। उद्योगपतियों का स्पष्ट कहना है कि घाटा सह लेंगे लेकिन अब चीन से माल नहीं मंगाएंगे।
अभी यहां की कंपनियां करोड़ों रुपयों का कच्चा माल चीन से आयात करती हैं। कभी एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र में शुमार रहे आदित्यपुर में करीब 20 कंपनियां ऐसी हैं, जो वर्षों से अपने उत्पाद के लिए चीन से कच्चा माल आयात करती हैं। अब इन्होंने ठान लिया है कि यथासंभव भारत के अंदर से ही कच्चा माल लेंगे या दूसरे देश से, लेकिन चीन से नहीं। हालांकि इससे उनके उत्पाद लागत 10 से 30 फीसद तक बढ़ जाएगी।
घाटा सहने के बावजूद चीन से माल मंगाने को तैयार नहीं
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित हाइटेक ग्रुप के प्रबंध निदेशक राजकुमार अग्रवाल, झारखंड ग्राइंडकेम प्रा. लि. के सुरेश नारायण ठाकुर व गोलछा इंटरप्राइजेज के किशोर गोलछा बताते हैं कि टाटा स्टील समेत देश-विदेश की स्टील कंपनियों को केमिकल मिनरल की जरूरत होती है। इसके लिए चीन से बड़े पैमाने पर मैग्नेसाइट, बॉक्साइट, कार्बन, ग्रेफाइट, मैंगनीज, फेल्डस्पर आदि कच्चा माल चीन से आयात करते हैं। एसएन ठाकुर का कहना है कि उन्होंने तो चीन से आयात करना बंद ही कर दिया है। अब वे गुजरात के अलावा कर्नाटक से मैग्नेसाइट मंगा रहे हैं। इससे उनके उत्पाद की लागत करीब 10 फीसद बढ़ गई है। अब वे घाटा सहने के बावजूद चीन से माल मंगाने को तैयार नहीं हैं।
चीन से नहीं मंगाते बॉक्साइड
उद्योगपति राजकुमार अग्रवाल ने कहा कि वे चीन से मैग्नेसाइट, ग्रेफाइट और उत्तम गुणवत्ता वाले बॉक्साइट मंगाते थे, लेकिन अब उन्होंने चीन को आर्डर देना बंद कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका से उनका माल आ रहा है। उधर, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 15 छोटी बड़ी फाउंड्री व फोìजग की कंपनियां हैं, जो चीन से करोड़ों रुपये का ग्रेफाइट व कार्बन ग्रेनुएल्स मंगाती हैं। इनमें से एक आरके इंडस्ट्रीज के निदेशक आलोक चौधरी बताते हैं कि यहां की कंपनियां चीन से प्रतिमाह करीब 100 टन कार्बन मंगाती हैं, जिसकी लागत लगभग तीन करोड़ रुपये होती है। अब अधिकतर भारत के दूसरे राज्यों या दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, रूस आदि से कार्बन ग्रेनुएल्स मंगाने की तैयारी में जुट गए हैं। आदित्यपुर स्थित क्योसेरा-सीटीसी प्रीसिजन टूल्स प्रा. लि. भी अपना शत-प्रतिशत उत्पाद निर्यात करती है। कंपनी के निदेशक रमेश अग्रवाल बताते हैं कि उनकी कंपनी चीन से साल में करीब तीन करोड़ रुपये का रॉ टूल बिट्स मंगाती है। चीन में उनका उत्पाद निर्यात भी होता है, इसलिए कच्चा माल भी वहां से मंगाते थे।
कंपनी व सालाना आयात
- हाइटेक ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज : 40 करोड़ रुपये
- झारखंड ग्राइंडकेम : 1.5 करोड़ रुपये
- गोलछा इंटरप्राइजेज : 4 करोड़ रुपये
- क्योसेरा-सीटीसी : 3 करोड़ रुपये
- फाउंड्री उद्योग : 36 करोड़ रुपये
- कुल आयात : 84.5 करोड़ रुपये
बड़ा निर्णय
- मैग्नेसाइट, कार्बन, ग्रेफाइट, बॉक्साइट का सबसे ज्यादा होता है आयात, रॉ टूल बिट्स भी आते हैं
- प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित होकर चीन से मुंह मोड़ रहीं कंपनियां