आदिम जनजाति के नाम पर खाद्यान्न घोटाला, मंत्री से शिकायत
मामले की गंभीरता को देखते हुए मंत्री ने बुधवार को जिला आपूर्ति पदाधिकारी को जांच कर कार्यवाई का आदेश दिया हैं।
जासं, जमशेदपुर : सरकार गरीबों व आदिम जनजाति के उत्थान के लिए कई योजना चला रही हैं ताकि उनका विकास हो पाए मगर सरकारी अधिकारियों की अनदेखी व लूट-खसोट के कारण योजनाएं धरातल पर पहुंचने के बजाए बीच में ही दम तोड़ देती हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं। पोटका प्रखंड के विभिन्न गांवों में रहने वाले आदिम जनजाति के सशक्तिकरण व सामाजिक विकास के नाम पर मिलने वाले खाद्यान्न में घोटाला की शिकायत कांगेस के जिला सचिव जयराम हांसदा ने मंगलवार को मंत्री सामेश्वर उरांव से किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए मंत्री ने बुधवार को जिला आपूर्ति पदाधिकारी को जांच कर कार्यवाई का आदेश दिया हैं। जयराम ने बताया कि भोजन के अधिकार अधिनियम 2013 के तहत विशेषाधिकार प्राप्त आदिम जनजाति वर्ग को 2016 अप्रैल से पोटाका प्रखंड के 564 परिवार को चिन्हित कर ब्लाक सप्लाई अधिकारी के माध्यम से खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम सौंपा गया था। वर्ष 2019 तक सरकारी आंकड़ा के अनुसार आदिम जनजाति परिवार के 564 परिवार मौजूद थे, मगर अचानक 136 परिवार की सूची से गायब होना गंभीर फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता हैं। जयराम ने आरोप लगाया है कि आखिर किसके इशारे पर 136 कार्ड को रद किया गया। उन्होंने कहां कि शेष बचे कुल 426 परिवार में भी ऐसे कई लोग है जिसमें एक ही नाम का पति या पिता का नाम बदलकर सुनियोजित ढंग से कई कार्ड बने हुए हैं। उन्होंने कहां कि पूरे मामले में लाखों रुपये का घोटाला हुआ हैं। उन्होंने मामले से संबंधित सभी दस्तावेज मंत्री को सौंप दिया हैं। उन्होंने कहां कि मामले की जांच के बाद इस लूट-खरोट में प्रखंड के साथ आपूर्ति विभाग के कई अधिकारियों का गर्दन फंसना तय हैं। जयराम का आरोप है कि यह फर्जीवाड़ा का खेल पिछले चार वर्षों से चला आ रहा हैं।