Move to Jagran APP

Weekly News Roundup Jamshedpur : स्पो‌र्ट्स टीचर की बल्ले-बल्ले,पढ़‍िए खेल जगत की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. कोई कुंभकर्णी नींद ले रहा तो कोई घटोत्कच बन गया है। इनकी आजादी देख कर दूसरे टीचर जल भुन रहे हैं। यह किस्मत की बात है।

By Edited By: Published: Sat, 11 Apr 2020 07:36 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 09:04 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : स्पो‌र्ट्स टीचर की बल्ले-बल्ले,पढ़‍िए खेल जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : स्पो‌र्ट्स टीचर की बल्ले-बल्ले,पढ़‍िए खेल जगत की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur  लॉकडाउन के कारण स्कूल व कॉलेज बद हैं। अभी यह लंंबा चलेगा। ऐसे में शहर के लगभग सभी निजी स्कूलों के प्रबधन ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है। कोई टीचर सुबह से जूम एप से क्लास ले रहा है, तो कोई वाट्सएप पर माथा पीट रहा है।

loksabha election banner

इन सबके बीच अगर कोई राहत महसूस कर रहा है तो वे हैं स्पो‌र्ट्स टीचर। अब खेलना है तो ग्राउंड में आना ही होगा। यहा तो ऑनलाइन से काम चलेगा नहीं। क्रिकेट में चाइना मैन गेंद कैसे फेंकी जाती है, तो बास्केटबॉल में स्मैश कैसे किया जाता है, इसकी पढ़ाई तो ऑफ द फील्ड हो ही सकती है। ऐसे में स्पो‌र्ट्स टीचर दिन भर सो रहे हैं। कई तो फेसबुक पर टाइम पास कर रहे हैं। कोई कुंभकर्णी नींद ले रहा तो कोई घटोत्कच बन गया है। इनकी आजादी देख कर दूसरे टीचर जल भुन रहे हैं। यह किस्मत की बात है।

कैसे हो स्कूली खेल का विकास

एक प्रतिष्ठित स्कूल के टीचर ने यूं ही बातचीत के दौरान कहा, आजकल बच्चे स्पो‌र्ट्स में आते ही नहीं। 9वीं 10वीं कक्षा के बाद इतना दबाव होता कि खेल पर ध्यान ही नहीं देते। हमारे जमाने में.. ये था, वो था। लगे डींग हाकने। बगल में ही खड़े एक महाशय ने सवाल दागा- अच्छा बताइए, आपके स्कूल में जो वार्षिक खेल समारोह इस बार हुआ था, उसमें सीनियर बालक वर्ग के 100 मीटर रेस में जो चैंपियन हुआ, उसकी टाइ¨मग क्या थी। स्पो‌र्ट्स टीचर माथा खुजलाने लगे। जनाब, आसमान ताकने लगे। सोचा, कहा फंस गए यार। बगल में खड़े महाशय ने कहा- जनाब जब आपको ही पता नहीं कि आपके स्कूल के 100 मीटर रेस के चैंपियन की टाइ¨मग क्या है तो दूसरे को क्या पता होगा। सिस्टम को दोष देने से पहले हमें खुद में सुधार लाना होगा। यह सुन स्पो‌र्ट्स टीचर बगले झाकने लगे। दबे पाव निकल गए।

मुंबई से आया मेरा दोस्त..

वह भी एक जमाना था, जब कोई खिलाड़ी मुंबई या दिल्ली से आता था तो मोहल्ले के सारे दोस्त उसके घर पहुंच जाते थे। हालचाल पूछते थे। पर, आज आलम यह है कि दोस्त कह रहे हैं- मुंबई से आया मेरा दोस्त, दूर से सलाम करो। लॉकडाउन के ठीक एक दिन पहले एक क्रिकेटर मुंबई से शहर पहुंचा। दूसरे दिन लॉकडाउन। पता चला, मुंबई में कोरोना का कहर टूट पड़ा है। मुंबई से लौटे क्रिकेटर ने सोचा, हर बार की तरह इस बार भी दोस्त आएंगे। हालचाल लेंगे। लेकिन यह क्या। कोई नहीं आया। जब से लॉकडाउन हुआ है, बेचारा यह क्रिकेटर अपने दरवाजे पर बैठ दोस्तों का इंतजार करता रहता है। कभी तो कोई मिलने आएगा। पर, हर बार निराशा ही हाथ लगी। दोस्त को फोन पर सवाल किया- ओए, तू मुझसे मिलने क्यों नहीं आया। उधर से जवाब आया- मुंबई से आया मेरा दोस्त, दूर से सलाम करो..।

लॉकडाउन में निकल रहा पेट

कोरोना बाबा भी क्या-क्या दिन दिखा रहे हैं। कभी अपने फिटनेस को लेकर सजीदा रहने वाले लोग आज घरों से बाहर ही नहीं निकल रहे। दिन भर घर में पड़े रहना है। बोरियत दूर करने के लिए सुबह से शाम तक बकरी की तरह मुंह चलाते रहना। कभी पकौड़ी की फरमाइश, कभी मछली बनाने का आदेश। आलम यह है कि घर से बाहर निकल नहीं रहे हैं, लेकिन पेट जरूर निकलने लगा है। कोरोना बाबा ने ऐसा सुख रोग लाया है कि ना हंसते बन रहा ना रोते। सोते-सोते कमर में दर्द होने लगा है सो अलग। बाहर निकलो तो पुलिस के जवान डंडा लिए तैयार बैठे रहते हैं। उधर, घर में कुछ देर रहने के बाद पत्नी के साथ किचकिच शुरू हो जाती है। बेचारे पति देव, एक कोने में पड़े-पड़े लॉकडाउन को कोस रहे हैं। साथ ही, लॉकडाउन बढ़ने की आशका में बेचारे दुबले हुए जा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.