धान की फसल में लगा शोषक बीमारी, किसान परेशान
बहरागोड़ा प्रखंड को धान का कटोरा कहा जाता है। इसका मुख्य वजह है कि प्रखंड के 22 पंचायत में 14500 हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है।

पार्थ सारथी परिड़ा, बहरागोड़ा : बहरागोड़ा प्रखंड को धान का कटोरा कहा जाता है। इसका मुख्य वजह है कि प्रखंड के 22 पंचायत में 14500 हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है। यहां के किसान प्रखंड में दो बार सर्वाधिक धान कि खेती होती है। इस खेती से किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो जाती है, जिससे साल भर की व्यवस्था हो जाता है। प्रखंड के छोटे बड़े किसानों के खेत में इस बार पका हुआ धान में शोषक नामक रोग लगने से किसानों के खेत में लगाए गए धान पूरी तरह से बर्बाद हो रहे हैं। किसानों को इस बार खेती के दौरान लगाई गई पूंजी भी निकलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। खेत में तैयार धान की कटाई किसान पूरे जोर-शोर से करने में जुटे है। लैंप्स में धान खरीद नहीं होने तथा समय पर सरकार द्वारा भुगतान नहीं किए जाने से किसानों को कम मूल्य पर ही व्यवसायी को बेचने में मजबूर हो जाते हैं। किसानों से खरीदा गए धान को व्यवसायी ऊंची दर पर दूसरे राज्य पश्चिम बंगाल और ओडिशा में ले जाकर बेचते है। इसके बावजूद सरकार किसान का दुख दर्द समझने को तेयार नहीं है। प्रखंड के किसान दोहरी मार का सामना कर रहे है। बीती बार ओलावृष्टि से फसल बर्बाद हो गई, इस बार बीमारी से फसल नष्ट हो गया।
इस बार मैंने 6 बीघा धान की खेती किया था। 45 हजार रुपये की पूंजी लगी थी, फसल में बीमारी लगने से फसल में लगाई गई पूंजी उठाने में परेशानी होगी। पहले इसी खेत में इतना धान होता था कि पूरे साल चिता करने की जरूरत नहीं थी।
- चरण सोरेन, किसान, दरखुली गांव। इस बार हमने चार बीघा जमीन पर 30 हजार रुपये खर्च कर अच्छी धान की उम्मीद की थी। अचानक अंतिम समय में शोषक नामक बीमार होने से आधा से अधिक धान का नुकसान हो गया। सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
-ओमनी टुडू, किसान, दरखुली गांव। 10 बीघा जमीन पर धान की खेती 60 हजार रुपये लगाकर किए थे। उम्मीद भी थी कि दोगुना आमदनी होगी। कीटनाशक दवाई आदि डालकर खेती किए थे, फिर भी फसल में रोग लगने के कारण खर्च किए गए पैसे निकल जाए तो नुकसान नहीं होगा।
- दीनबंधु सोरेन, किसान। पिछले वर्ष ओलावृष्टि के कारण फसल को नुकसान हुआ था। इस बार बीमारी होने पर फसल बर्बाद हुई। राज्य सरकार से आग्रह है कि इस पर विचार-विमर्श कर आकलन करें और किसानों को उचित मुआवजा दें।
- संजय प्रहराज, किसान, शासन गांव। इस बार 18 बीघा जमीन पर धान की खेती किए थे। इसमें से लगभग एक लाख 20 हजार रुपये की पूंजी निवेश हुई। ऊपज से अंदाजा लगाया जा रहा है कि जो धान हुआ है, उसके हिसाब से मूलधन उठाना भी संभव नहीं है।
- सौमित्र ओझा, किसान गम्हरिया गांव। प्रखंड के 22 पंचायतों में कुल 14500 हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है। प्रखंड में अच्छी फसल की उम्मीद की गई थी, परंतु किसानों के अनुसार शोषक बीमार से काफी नुकसान होने की संभावना है। इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है तैयार फसल के समय अधिक पानी। पोषक तत्वों की कमी से भी यह बीमारी होती है। किसानों को दारीसाई कृषि केंद्र से और अधिक जानकारी लेना चाहिए, ताकि फसल बचाया जा सके।
- समीर मजूमदार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बहरागोड़ा।
Edited By Jagran