अवैध तरीके से बसी है मानगो की 75 प्रतिशत आबादी, प्रशासन के पास भी कोई जवाब नहीं
हमलोग यहां 50-60 वर्ष से रह रहे हैं। जमीन की रजिस्ट्री भी हो चुकी है लेकिन आज तक म्यूटेशन नहीं हो सका। इसकी वजह से ना तो हमें जमीन या घर पर बैंक से लोन मिलता है ना नक्शा पास होता है।
जमशेदपुर (वीरेंद्र ओझा)। हमलोग यहां 50-60 वर्ष से रह रहे हैं। जमीन की रजिस्ट्री भी हो चुकी है, लेकिन आज तक म्यूटेशन नहीं हो सका। इसकी वजह से ना तो हमें जमीन या घर पर बैंक से लोन मिलता है, ना नक्शा पास होता है। यह पीड़ा मानगो निवासी सिंहभूम केंद्रीय वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष शिवपूजन सिंह समेत करीब सवा दो लाख लोगों की है, जो यहां वर्षों से रह रहे हैं। जमशेदपुर में 86 बस्ती की तरह इसके उपनगर मानगो में भी 75 प्रतिशत आबादी अवैध तरीके से बसी है। इससे भी बड़ी बात कि इस संबंध में सरकार या जिला प्रशासन से भी कोई जवाब नहीं मिलता है। सिंह बताते हैं कि उन्होंने गत वर्ष 15 अगस्त को भूमिसुधार उपसमाहर्ता से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि हमारा म्यूटेशन क्यों नहीं हो रहा है। यदि नहीं हो सकता, तो यह भी बताया जाए। इस पर उनका आरटीआइ मानगो के अंचल अधिकारी को अग्रसारित कर दिया गया। वहां से अक्टूबर में मौजा, खाता, प्लॉट आदि संख्या मांगा गया, वह भी दे दिया, लेकिन आज करीब 10 माह हो गए, कोई जवाब नहीं मिला। सरकार का स्पष्ट जवाब नहीं मिलने से लोग संशय की स्थिति में हैं। म्यूटेशन नहीं होने से सरकार को भी करोड़ों रुपये राजस्व की हानि हो रही है। वहीं ऐसी ही जमीन पर बसे कुछ प्रभावशाली लोगों ने म्यूटेशन कराने में सफलता भी हासिल कर ली है। उन्हें देखकर मध्यम व गरीब लोगों को सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाने का मौका मिल जाता है। भाजपा नेता विकास सिंह कहते हैं कि मानगो में सरकारी, आदिवासी व सीएनटी जमीन की धड़ल्ले से बिक्री होती है। इससे एक लूटतंत्र विकसित हो गया है, जिसमें नेता, पुलिस, सरकारी अधिकारी व असामाजिक तत्व भी शामिल हैं। सरकार यदि इनका सेटलमेंट कर देती तो इस पर अंकुश लग जाता। पता नहीं क्यों, सरकार भी इस मामले में उदासीनता बरत रही है।
विधानसभा में उठाया था सवाल, नहीं मिला जवाब : सरयू
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक 2019 से पहले जमशेदपुर पश्चिमी के ही विधायक थे। मानगो इसी क्षेत्र में पड़ता है। वह कहते हैं कि मैंने 2005-06 में विधानसभा में मानगो की जमीन का मुद्दा उठाया था। मेरा कहना था कि जिस जमीन पर कोई 20-25 वर्ष से रह रहा है, तो सरकार उसे हटा नहीं सकती। सरकार जिसे हटा नहीं सकती, उसका सेटलमेंट कर दे। इससे लोगों को मालिकाना हक मिल जाएगा और सरकार को भी करोड़ों का राजस्व मिलेगा, लेकिन उन्हें इसका जवाब नहीं मिला। मैंने ऐसे लोगों से कहा कि वे अंचल अधिकारी को सेटलमेंट के लिए आवेदन दें, वहां सुनवाई नहीं होती है तो कोर्ट में जाएं।
होमी मोदी ने बांटी थी जमीन
बुजुर्ग बताते हैं कि मानगो में ज्यादतर जमीन पारसी परिवार से ताल्लुक रखने वाले होमी मोदी ने बांटी थी। उन्हें धालभूमगढ़ के राजा ने उपहार में जमीन दी थी। होमी मोदी का पदार्पण तब हुआ था, जब 1928 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष बने थे। होमी माेदी नेताजी के विरोधी थे। उन्होंने ही बिष्टुुपुर के जी टाउन मैदान में सभा के दौरान नेताजी पर जानलेवा हमला कराया था। बहरहाल, तब मानगो की अधिकांश आबादी मानगो चौक के आसपास तक सीमित थी। 1950 के बाद मानगो का विस्तार होना शुरू हुआ।