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पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा बांझपन, कारण जानकार रह जाएंगे हैरान

जमशेदपुर शहर में अबतक दान के स्पर्म के जरिए लगभग 500 बच्चे जन्म ले चुके हैं, जो धीरे-धीरे बड़े होकर अपनी दुनिया बसाएंगे, यह यकीनन शहर की अलग दुनिया कहलाएगी

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 11:46 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 03:13 PM (IST)
पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा बांझपन, कारण जानकार रह जाएंगे हैरान
पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा बांझपन, कारण जानकार रह जाएंगे हैरान

जमशेदपुर (अमित तिवारी)। मंगल पर ठौर-ठिकाना बनाने की चल रही तलाश के बीच लौहनगरी में भी एक अलग दुनिया बसने की तैयारी में हैं। चौंकिए मत! यह संस्कारी भारत में वैज्ञानिक युग का भविष्य है। जी हां, ये वैसी नई दुनिया की कल्पना का साकार होता सपना है जो विज्ञान के जरिए मानव सृजन को दान के स्पर्म (दूसरे के स्पर्म) के माध्यम से मूर्त रूप दे रहा है।

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जमशेदपुर शहर में अबतक दान के स्पर्म के जरिए लगभग 500 बच्चे जन्म ले चुके हैं, जो धीरे-धीरे बड़े होकर अपनी दुनिया बसाएंगे, यह यकीनन शहर की अलग दुनिया कहलाएगी। ये बच्चे सामान्य बच्चों की तरह ही फीट-फाट और तेज-तरार होते है। हालांकि, जन्म के समय इन बच्चों का वजन सामान्य बच्चों से 200-300 ग्राम कम रहता है लेकिन कुछ ही माह के बाद सामान्य हो जाता है।

जमशेदपुर में नहीं है स्पर्म बैंक

शहर में फिलहाल स्पर्म बैंक मौजूद नहीं होने के कारण पटना, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रदेशों से जरुरत के अनुसार स्पर्म मंगाए जा रहें हैं। जमशेदपुर में तीन आइवीएफ सेंटर है। बाकि एक दर्जन से अधिक ब्रांच के रूप में संचालित है जो सीधे कोलकाता, दिल्ली, छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों में मौजूद आईवीएफ सेंटर से जुड़ा हुआ है।

हर साल 300 डोनर का स्पर्म पहुंच रहा जमशेदपुर

महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ी है, जोकि चिंता का विषय है। 20 साल पहले 20 फीसद ही पुरुष बांझपन के शिकार थे जो अब बढ़कर 40 फीसद हो गए है। इसी वजह से स्पर्म डोनर की जरूरत पड़ रहीं है। पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण प्रदूषण, नशा का सेवन, लाइफ स्टाइल, देर से शादी, लेट नाइट तक ऑफिस में काम करना सहित अन्य है। जमशेदपुर में संचालित तीनों आईवीएफ सेंटरों का आंकड़ा देखा जाए तो यहां हर साल 300 डोनर का स्पर्म पहुंच रहा है। गोलमुरी स्थित स्पर्श आईवीएफ सेंटर कोल्हान का पहला सेंटर है जहां पर बीते तीन साल में 200 डोनर का स्पर्म पहुंचा है। जबकि करीब 60 फीसद महिलाएं व पुरुष दूसरे प्रदेशों में जाते है। 40 फीसद ही शहर में बांझपन का इलाज कराते है।

43.7 फीसद सफलता दर, 20 फीसद बच्चे होते हैं जुड़वा

आईवीएफ सेंटर का सफलता दर 43.7 फीसद है। यानी 100 में 44 महिलाएं ही गर्भ धारण कर पाती है। बाकि को असंतुष्ट ही लौटना पड़ता है। वहीं 15 से 20 फीसद बच्चे जुड़वा पैदा होते है। हालांकि, ये बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं। भारत में स्पर्म और अंडाणु बेचने का चलन बढ़ा है। इसकी कई वजह है। एक तो यह कि जो ज्यादा उम्र में शादी कर रहे हैं उनके लिए मां या बाप बनने में दिक्कतें होती हैं। ऐसे में आईवीएफ एकमात्र सहारा होता है।

बढ़ रही डोनर की जरूरत

आईवीएफ सफल रहेगा या नहीं यह महिलाओं के अंडाणु पर निर्भर करता है और साथ ही स्पर्म की गुणवक्ता पर। जमशेदपुर में जरूरत के अनुसार दूसरे प्रदेशों में स्थापित स्पर्म बैंकों से स्पर्म मंगाए जाते हैं। डोनर की जरूरत लगातार बढ़ रही है जोकि चिंता का विषय है।

- डॉ. विनोद अग्रवाल, इनफर्टिलिटी रोग विशेषज्ञ सह कोषाध्यक्ष, झारखंड शाखा, इंडियन सोसाइटी फॉर एसिस्टेड रिप्रोडक्शन।


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