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Coronavirus Lockdown Effect : 40 फीसद प्ले स्कूलों के भविष्य पर संकट Jamshedpur News

Coronavirus Lockdown Effect. कोरोना और लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसका सबसे ज्यादा असर प्ले स्कूलों पर पड़ा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 08:48 AM (IST)
Coronavirus Lockdown Effect : 40 फीसद प्ले स्कूलों के भविष्य पर संकट Jamshedpur News

जमशेदपुर, दिलीप कुमार।  कोरोना और लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसका सबसे ज्यादा असर प्ले स्कूलों पर पड़ा है। लॉकडाउन के दौरान सभी प्ले स्कूल संचालकों की आमदनी बंद हो गई है। जबकि खर्चे पहले की तरह बरकरार हैं। ऐसे में प्ले स्कूलों को यदि सरकारी मदद नहीं मिली तो जमशेदपुर के 40 फीसद प्ले स्कूल बंद हो जाएंगे।

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किड्जी प्ले स्कूल के संचालक देवेंदर सिंह मारवाह कहते हैं कि कोरोना काल के दौरान उन्हें प्रतिमाह करीब 90 हजार का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों से फीस नहीं मांगी गई, जबकि शिक्षक-शिक्षिकाओं व कर्मचारियों को वेतन देना पड़ रहा है। वाहन का खर्च, बिजली बिल, फ्रेंचाइजी की फीस आदि का भुगतान नियमित हो रहा है। गोविंदपुर के बचपन प्ले स्कूल के सुबोध सिंह कहते हैं कि सरकार अगर राहत पैकेज नहीं देती है तो स्कूल चलाना मुश्किल होगा।

कम बच्‍चे ही ऑनलाइन जुड़ पाते

इसी तरह किडोज प्ले स्कूल के संजीव सिंह कहते हैं कि स्कूल भवन का किराया, लोन, शिक्षक व कर्मचारियों का वेतन, बिजली व अन्य बिलों का भुगतान घर से करना पड़ रहा है। लॉकडाउन के दौरान प्रति माह ढाई से तीन लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उधर, लॉकडाउन के दौरान कई प्ले स्कूल संचालक ऑनलाइन स्कूल चला रहे हैं। स्कूल में 350 बच्चे हैं, लेकिन कम बच्चे ही ऑनलाइन से जुड़ते हैं। वीडियो, वी चैट, व्हाट्सएप, फेसबुक आदि के माध्यम से छोटे बच्चों को पढ़ाया जा रहा, लेकिन अभिभावक फीस नहीं जमा कर रहे हैं। इसी प्रकार लॉकडाउन ने मानगो के किड्स इंटरनेशनल प्ले स्कूल, गोकूल प्ले स्कूल, हेलो किड्स, किड्स विला जैसे प्ले स्कूलों की कमर तोड़ दी है।

बंद होने का मंडरा रहा खतरा

जमशेदपुर शहर में छोटे-बड़े मिला करीब चार सौ प्ले स्कूल हैं। इनमें औसतन 40 हजार बच्चे पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन के दौरान सभी स्कूल बंद हैं। 90 फीसदी प्ले स्कूल किराये के मकान में चल रहे हैं। अधिकांश अभिभावक फीस नहीं जमा कर रहे हैं। उनका कहना है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूल जाना अभी संभव नहीं दिख रहा है। कब तक स्कूल खोलेंगे, इस बारे में कुछ तैयारी नहीं है। ऐसे में आगे स्कूल चलाने को लेकर भी संकट मंडरा रहा है।


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