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जिदगी के लिए खतरनाक है तनाव का 300 अंक, बढ़ा देता 80 फीसद खुदकुशी का खतरा

अमेरिकी संस्था होम्स राहे स्ट्रेस इंवेंटोरि के अनुसार खुदकुशी का कोई एक कारण नहीं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 06:00 AM (IST)
जिदगी के लिए खतरनाक है तनाव का 300 अंक, बढ़ा देता 80 फीसद खुदकुशी का खतरा
जिदगी के लिए खतरनाक है तनाव का 300 अंक, बढ़ा देता 80 फीसद खुदकुशी का खतरा

अमित तिवारी, जमशेदपुर : जिदगी जीने के लिए 150 तक अंक बेहतर है। उससे अधिक होने का मतलब आप डेंजर जोन की तरफ बढ़ रहे हैं। 300 अंक के बाद 80 फीसद खुदकुशी का खतरा बढ़ जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि मनुष्य की जिदगी से 150 और 300 अंक इतना महत्वपूर्ण क्यों है। दरअसल, जमशेदपुर में खुदकुशी के मामले तेजी से बढ़ा है। हर माह 25 से 30 लोग खुदकुशी कर रहे हैं, जिससे पूरा समाज चितित है। दैनिक जागरण की टीम ने इसकी तह में जाने की कोशिश की तो पाया कि लोग किसी एक कारण की वजह से खुदकुशी नहीं करते। समय तेजी से बदल रहा है। अब लोगों को न तो कोई समझाने वाला बचा है और ना ही उनका दुख-दर्द सुनने और समझने वाला। नतीजा है कि वे लोग तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाते और गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। अमेरिकी संस्था होम्स राहे स्ट्रेस इंवेंटोरि के रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्य की जिदगी में आने वाली हर समस्याओं को अलग-अलग अंकों में बांटा गया है। सबसे अधिक लोग तब तनाव महसूस करते है, जब उनके जीवनसाथी की मृत्यु हो जाती है। तब उनके तनाव का स्तर 100 अंक मापा गया है। इसी तरह तलाक में 73 अंक, वैवाहिक अलगाव होने पर 65 अंक, जेल या अन्य संस्था में नजरबंदी होने पर 63, एक करीबी परिवार के सदस्य का निधन होने पर 63, शादी नहीं होने पर 50 अंक, नौकरी से निकाल देने पर 47 अंक सहित अन्य शामिल है। इस तरह कई कारणों को मिलकर जब अंक 150 हो जाता है तो 50 फीसद खुदकुशी करने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं जब यह अंक 300 हो जाता है तो खुदकुशी करने की खतरा 80 फीसद बढ़ जाती है।

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जमशेदपुर में खुदकुशी का मुख्य कारण पारिवारिक व बेरोजगारी

खुदकुशी रोकने वाली संस्था जीवन के अनुसार, जमशेदपुर में अप्रैल से सितंबर तक कुल 172 लोगों ने खुदकुशी की है। इसमें पुरुषों की संख्या अधिक है। 112 पुरुष व 60 महिला शामिल है। उम्र 18 से 45 के बीच 140 लोगों ने खुदकुशी किया है। यानी 18 से 45 उम्र के लोगों पर तनाव तेजी से हावी हो रहा है। इस उम्र के पड़ाव पर पारिवारिक समस्या, बेरोजगारी, तलाक, वैवाहिक अलगाव, नौकरी से निकाल देने की चिता सहित वे सब कारण शामिल होते हैं जिसके तनाव का स्तर अधिक होता है। इस दौरान अगर पीड़ित को उनके दुख-दर्द सुनने, समझने वाला कोई नहीं मिलता तो वे उन्हें लगता है कि ये जिदगी अब उनके लिए नहीं है और वे गलत कदम उठा लेते है। जीवन संस्था के अनुसार, इन्हीं सब कारणों की वजह से लोग अधिक खुदकुशी कर रहे हैं।

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तनाव का स्तर किस परेशानी में कितने मापा गया है

परेशानी - तनाव का स्तर (अंक में)

जीवन साथी की मृत्यु - 100

तलाक - 73

वैवाहिक अलगाव - 65

जेल या नजरबंदी - 63

परिवार के सदस्य का निधन - 63

बड़ी व्यक्तिगत चोट या बीमारी - 53

शादी नहीं होना - 50

नौकरी से निकाला जा रहा है - 47

वैवाहिक सामंजस्य - 45

सेवानिवृति या काम से निवृति - 45

गर्भावस्था - 40

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किस माह में कितने लोगों ने किया खुदकुशी

माह - कुल

अप्रैल - 18

मई - 20

जून - 30

जुलाई - 29

अगस्त - 29

सितंबर - 34

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तनाव को कम करने का सबसे बेहतर तरीका उसे दूसरे लोगों से शेयर करना ही है। मुसीबत में तनाव का स्तर बढ़ जाता है। ऐसी परिस्थिति में अकेला समय नहीं गुजारे। अपनी समस्याएं को दोस्त व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ साझा करें, उससे तनाव कम होता है। अगर ज्यादा तनाव महसूस हो तो किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। उस दौरान काउंसलिग करने से मन से नकारात्मक बातें निकल जाती है। जिदगी में हार कभी नहीं माननी चाहिए। हर समय एक समान नहीं होता। समाज-परिवार टूटने की वजह से अब किसी के पास समय नहीं है, जो चिता का विषय बन गया है।

- डॉ. दीपक गिरी, मनोचिकित्सक, सदर अस्पताल।

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