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womens violence: महिला हिंसा पर एकजुट हुए 30 महिला संगठन, ये प्रस्ताव हुए पारित, जानिए

womens violence. बैठक के दौरान सामूहिक चर्चा में यह बात उभर कर आई कि झारखंड से आजकल बालक-बालिकाओं को राज्य के बाहर नौकरी का झांसा देकर भेजा जा रहा है और उनका यौन शोषण हो रहा है। बाल श्रमिकों के प्रति बढ़ते अपराध को रोकना ही होगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 04:48 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 04:48 PM (IST)
womens violence:  महिला हिंसा पर एकजुट हुए 30 महिला संगठन, ये प्रस्ताव हुए पारित, जानिए
डीबीएमएस बीएड कॉलेज के ऑडिटोरियम में मौजूद महिला संगठनों की प्रतिनिधि।

जमशेदपुर, जासं। डीबीएमएस बीएड कॉलेज के ऑडिटोरियम में प्रदेश भर में महिला हिंसा, यौन यातनाओं के खिलाफ शहर के 30 महिला संगठनों ने सामूहिक बैठक बुधवार को की। बैठक में पारित प्रस्तावों को लेकर इन संगठनों ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक ज्ञापन सौंपा।

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इसमें प्रदेश भर में महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति हो रही हिंसा को रोकने की मांग गई। बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि अपराधियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही तुरंत की जाए। जाति वर्ग से ऊपर उठकर स्थानीय पुलिस और थाना से त्वरित कार्यवाही करने की मांग की गई। महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा को जब तक फास्ट ट्रैक में तुरंत सुनवाई नहीं की जाएगी तब तक अपराधी स्वच्छंद घूमते रहेंगे और अपराध को रोक पाना असंभव होगा। बैठक के दौरान सामूहिक चर्चा में यह बात उभर कर आई कि झारखंड से आजकल बालक-बालिकाओं को राज्य के बाहर नौकरी का झांसा देकर भेजा जा रहा है और उनका यौन शोषण हो रहा है। बाल श्रमिकों के प्रति बढ़ते अपराध को रोकना ही होगा।

इनकी रही भागीदारी

कार्यक्रम में दक्षिण भारतीय महिला समाज, लायंस क्लब ,रोटरी क्लब, बहुभाषी साहित्यिक संस्था सहयोग ,संस्कार भारती, पटना वीमेंस कॉलेज एल्यूमिनाई संघ, नव पल्लव, गुजराती सनातन समाज, क्षत्रिय संघ, गायत्री परिवार आदि अनेक संस्थाओं ने महिला सुरक्षा के लेकर आवाज उठाई। कार्यक्रम का संचालन दक्षिण भारतीय महिला समाज की प्रिया धरमराजन ने किया और स्वागत भाषण ललिता चंद्रशेखर ने दिया। दक्षिण भारतीय समाज की चेयरपर्सन भानुमति नीलकंठन, पूर्वी घोष, अधिवक्ता संगीता झा, मनोवैज्ञानिक डॉ निधि श्रीवास्तव, संस्कृति कर्मी रागिनी भूषण ने भी अपनी कविता के द्वारा बात मंच से रखी।

बैठक में ये प्रस्ताव हुए पारित

  • प्रत्येक थाना में महिला अफसरों की बहाली की जाए।
  • संवेदनशील पुरुषों के साथ महिला न्यायधीशों को भी न्याययिक प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
  • अपराधियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही तुरंत की जाए। जब तक फास्ट ट्रेक में तुरंत सुनवाई नहीं की जाएगी तब तक अपराधी स्वच्छंद घूमते रहेंगे और अपराध को रोक पाना असंभव होगा।
  • जाति वर्ग से ऊपर उठकर स्थानीय पुलिस और थाना से त्वरित कार्यवाही करने की मांग की गई।
  • झारखंड से बाहर जानेवाले बाल श्रमिकों के प्रति बढ़ते अपराध को रोकना ही होगा।
  • झारखंड सरकार को भी अन्य प्रदेशों की तरह अपराधियों को तुरंत कड़ी से कड़ी सजा देकर दुसरे असामाजिक तत्वों को संदेश देना चाहिए।
  • गिरफ़्तारी बीमा का सुझाव भी दिया गया। यदि गलत आरोप लगाकर गिरफ़्तारी होती है तो बीमा की प्रीमियम राशि सरकार देगी।

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