आपातकाल के खिलाफ जब सड़क पर उतरे विद्यार्थी
हजारीबाग : 26 जून 1975 का सूर्योदय कांतिविहीन और लालिमाविहीन होकर धुंधली रोशनी में छिपा रहा। सुबह-सु
हजारीबाग : 26 जून 1975 का सूर्योदय कांतिविहीन और लालिमाविहीन होकर धुंधली रोशनी में छिपा रहा। सुबह-सुबह आकाशवाणी से खबर आ रही थी- ये आकाशवाणी है..। सुरक्षा के लिहाज से पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है।
दरअसल 25 जून की आधी रात के बाद फैसला लिया गया तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों इतिहास का पन्ना स्याह हो गया। हजारीबाग जैसा छोटा शहर भी इस अराजक स्थिति के विरोध में आवाज बुलंद किया। शहर के छात्र शिक्षण संस्थानों को छोड़ सड़क पर उतर आए। आंदोलन का लंबा सिलसिला शुरू हुआ। एकीकृत बिहार में सर्वाधिक गिरफ्तारी हजारीबाग से हुई। जेपी के नारे मंत्र बन गए था। धरना और गिरफ्तारी की वारदात विद्यार्थियों का मनोबल तोड़ नहीं सका। कलम, कैमरा और कूंची पर प्रतिबंध लग गया था। आपातकाल में जेल जाने वालों की लंबी फेहरिस्त है। स्वरूप जैन, गौतम सागर राणा, अशोक चौरसिया, अर्जुन यादव, अशोक यादव, हरीश श्रीवास्तव, प्रो. सुरेंद्र सिन्हा, जयगो¨वद प्रसाद, अनिल प्रसाद समेत कई लोग मीसा अथवा डीआइआर में जेल की सजा काटी। जेपी के सेनानियों में स्व. नीरू जैन, स्व. नेहरू यादव, स्व. उपेंद्रनाथ दास, स्व. भोलानाथ सहाय के नाम शामिल है। महिला आंदोलनकारियों में गीता चौरसिया, गायत्री राणा, नूपूर प्रसाद, माला दफतूआर, लक्षमी देवी, बैजंती देवी जैसे कई नाम हैं जिन्होंने आपातकाल का जम कर विरोध किया था।
हजारीबाग केंद्रीय कारा 1975 में दूसरी आजादी के सेनानियों से भरा रहा। उस समय देश के कई राष्ट्रीय स्तर के नेता भी कैद थे। माननीय अटल बिहारी वाजपेयी भी एक रात जेल में रहे। इसके अलावा कर्पूरी ठाकुर, कैलाशपति मिश्र, देशरत्न के पुत्र मृत्युंजय प्रसाद, जेपी के सहयोगी शालीग्राम ¨सह जैसे कई महत्वपूर्ण लोग बंदी की सजा काट रहे थे।