Move to Jagran APP

हजारीबाग के इस अस्पताल में लोग लगा रहे पूर्वजों की याद में शिलापट, लाखों के भवन में एक दिन भी नहीं हुआ मरीजों का इलाज

हजारीबाग के बरही में लाखों की लागत से बने अस्पताल की चारदीवारी और परिसर में लोग लगा रहे मृत पूर्वजों के स्मृति पट्टं

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 10:37 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 10:54 PM (IST)
हजारीबाग के इस अस्पताल में लोग लगा रहे पूर्वजों की याद में शिलापट, लाखों के भवन में एक दिन भी नहीं हुआ मरीजों का इलाज
हजारीबाग के इस अस्पताल में लोग लगा रहे पूर्वजों की याद में शिलापट, लाखों के भवन में एक दिन भी नहीं हुआ मरीजों का इलाज

प्रमोद विश्वकर्मा/विकास कुमार, हजारीबाग :

loksabha election banner

हजारीबाग जिले में एक अस्पताल ऐसा भी है जो सिर्फ पूर्वजों की याद में शिलापट्टं लगाने के काम आ रहा है। अस्पताल परिसर में और इसकी दीवारों पर चारों ओर दिवंगत लोगों के नाम चस्पा हैं, जो उन्हें याद करने और श्रद्धांजलि देने के लिए आसपास के लोगों ने अंकित किए हैं। लगातार ऐसे शिलापट्टंों की संख्या यहां बढ़ती जा रही है। खाली वीरान अस्पताल के परिसर में ऐसी गतिविधियों पर न तो कोई विराम लगाने वाला है ना ही चिंता करने वाला। यही हालत रही तो कुछ दिनों में यह पूरा अस्पताल परलोकवासियों के ही नाम हो जाए तो अचरज की बात नहीं। ऐसे भी लाखों की लागत से बना यह अस्पताल आज तक एक दिन भी मरीजों के इलाज के काम नहीं आ सका है।

हजारीबाग के बरही प्रखंड के बुंडू गांव में लाखों की लागत से बना यह अस्पताल चार वर्षो से वीरान पड़ा है। नया भवन अब खंडहर बन रहा है लेकिन आज तक इसमें अस्पताल शुरू नहीं हो पाया। इस बीच आसपास के गांव वालों ने अस्पताल की चारदीवारी पर और परिसर के अगल बगल चारो ओर मृत पूर्वजों की याद में शिलापट लगाने शुरू कर दिए। यहां आसपास के गांवों में किसी की मौत हो जाने पर दिवंगत के नाम शिलापट्टं लगा उसके ऊपर संबंधित व्यक्ति का नाम लिखकर उनके प्रति श्रद्धांजलि प्रकट करने की परंपरा है। अबतक अस्पताल की चारदीवारी और इसके आसपास 27 दिवंगत लोगों की याद में शिलापट लगाए जा चुके हैं। इनमें अस्पताल की दीवार पर 15 शिलापट लगाए गए हैं। शेष आसपास लगाए गए हैं। पिछले चार वर्षो के दौरान ये शिलापट लगाए गए हैं। 25 लाख की लागत से बना था अस्पताल

भवन प्रमंडल विभाग ने वर्ष 2016 में 25 लाख की लागत से इस उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए दो मंजिला भवन बनाया था। पानी और बिजली की व्यवस्था नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग ने इसे नहीं लिया। आलम यह है कि तब से यहां एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ है। -----

डेढ़ किलोमीटर दूर है श्मशान घाट, रास्ता नहीं होने से बना स्मृति स्थल

अस्पताल भवन से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर श्मशान घाट तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। एक है भी तो बेहद खराब स्थिति में है। ऐसे में दाह संस्कार के बाद ग्रामीणों ने अपनी सुविधा देखते हुए अस्पताल और आसपास के क्षेत्र को ही स्मृति स्थल बना लिया। पुण्यतिथि पर लोग यहा एकत्र भी होते हैं।

------- खपरैल किराए के मकान में चल रहा उपकेंद्र

उधर, बुंडू गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर बरही अनुमंडल अस्पताल है। वर्तमान में बुंडू में उपस्वास्थ्य केंद्र किराये के एक खपरैल मकान में चल रहा है। यहां सिर्फ एक बेड और टेबल लगाने की जगह है। ----- कोट----- स्वास्थ्य विभाग को भवन लेने के लिए कई बार पत्र लिखा गया। विभाग ने कोई पहल नहीं की। अब भवन भी जर्जर होने लगा है। ग्रामीणों से आग्रह करूंगा कि वे शिलापट हटा लें

- विजय यादव, मुखिया प्रतिनिधि मलकोको पंचायत, हजारीबाग। ---- कोट----

पानी और बिजली कनेक्शन नहीं होने की वजह से भवन नहीं लिया गया। शिलापट लगाने की जानकारी मुझे नहीं है। मामले की जानकारी ली जाएगी।

- शशि शेखर प्रसाद सिंह, चिकित्सा उपाधीक्षक बरही अनुमंडल, हजारीबाग।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.