जहां लटकते थे ताले, वे अब हैं देश के लिए मॉडल स्वास्थ्य केंद्र
Model health center. झारखंड में नक्सल प्रभावित चुरचू और डाडी में 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों की तस्वीर बदल गई है।
हजारीबाग, विकास कुमार। यह सपनों के हकीकत में बदलने जैसा है। रात की बात तो दूर इन स्वास्थ्य केंद्रों में दिन में इलाज कराना किसी सपने से कम नहीं था। लटकते ताले इनकी पहचान थे। अब बदलाव की बयार बह रही है। रात में भी इन स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों की किलकारियां गूंज रही हैं। सपना हकीकत में बदला तो देश ने भी पहचाना। यह परिवर्तन देश के लिए मॉडल बनने जा रहा है।
हम बात कर रहे हैं हजारीबाग जिले (झारखंड) के नक्सल व उग्रवाद प्रभावित व जंगल से घिरे क्षेत्र चुरचू और डाडी प्रखंड के उप स्वास्थ्य केंद्रों की। यहां के 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों की तस्वीर ऐसी बदली है कि अब नीति आयोग की टीम इस पर डॉक्यूमेंट्री बना रही है। दिसंबर में पहुंची टीम ने यहां के बदलाव को अपने कैमरे में कैद किया है। नीति आयोग इसे पूरे देश में मॉडल के रूप में दिखाएगा।
13 में से अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनमें कई में एएनएम तक मौजूद नहीं थे। ऐसे में अन्य इलाज की कल्पना भी यहां नहीं की जा सकती थी। लोगों को छोटी-छोटी बीमारी के लिए भी 25 से 30 किलोमीटर दूर हजारीबाग आना पड़ता था। अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।
चुरचू और डाडी के प्रभारी चिकित्सक डॉ. एपी चैतन्या व हजारीबाग के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला इस बदलाव के सूत्रधार बने। यहां अब रात में प्रसव की सुविधा मिल रही है। दिसंबर में ही डाडी के उप स्वास्थ्य केंद्र में एक माह में 15 सुरक्षित प्रसव कराए गए। यहां अब गर्भवती महिलाओं को नौ प्रकार के जांच की सुविधा भी मिल रही है। अल्ट्रासाउंड की आवश्कता पड़ने पर तत्काल ममता वाहन से उन्हें सदर अस्पताल पहुंचाया जाता है। इन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को अब ओपीडी की सुविधा मिल रही है।
डीएमएफटी फंड का किया उपयोग, आउटसोर्सिंग पर रखे गए लोग
उपायुक्त ने चुरचू में बदलाव के लिए डिस्टि्रक मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल किया। इसकी राशि का उपयोग कर आउटसोर्सिंग पर डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टाफ रखे गए। पहले इन 13 उप स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मियों की कमी थी। अभी 60 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। उपायुक्त ने दोनों प्रखंडों के केंद्रों की जिम्मेदारी डॉ.एपी चैतन्या को सौंपी। डॉ चैतन्या ने भी अपनी जिम्मेदारी दिलचस्पी लेकर निभाई।
जरूरी है कि अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य की सुविधा पहुंचे। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में चुरचू और डाडी में हमें अच्छे परिणाम मिले हैं। यहां आउटसोर्सिंग पर डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ को रखा गया। सुविधाएं दी गईं। इसके बाद से स्थितियां बदली हैं।
- रविशंकर शुक्ला, उपायुक्त हजारीबाग।