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Lok Sabha Polls 2019: हजारीबाग को अब भी है आदर्श स्टेडियम का इंतजार

Lok Sabha Polls 2019. भले ही झारखंड ने देश के खेल मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की हो लेकिन हजारीबाग में खेल के लिए आधारभूत संरचनाओं की घोर कमी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 12:45 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 12:45 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: हजारीबाग को अब भी है आदर्श स्टेडियम का इंतजार
Lok Sabha Polls 2019: हजारीबाग को अब भी है आदर्श स्टेडियम का इंतजार

हजारीबाग, [रमण कुमार]। वर्तमान समय में भले ही झारखंड ने देश के खेल मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की हो, लेकिन हजारीबाग जिला में खेल के लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाओं की घोर कमी है। यद्यपि हजारीबाग ने कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देश को देने का काम भी किया है।

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इस फेहरिस्त में पंकज रजक जैसे हॉकी खिलाड़ी, राखी कुमारी जैसी कबड्डी खिलाड़ी, शुभ लक्ष्मी जैसी क्रिकेट खिलाड़ी शामिल हैं। फिर भी जनप्रतिनिधियों से लेकर शासन-प्रशासन ने यहां कभी खेल के लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाओं को तैयार कराने की जहमत उठाने का काम नहीं किया।

इसका नतीजा है कि न जाने कितनी प्रतिभाएं आवश्यक प्रशिक्षण के अभाव में यूं ही दम तोड़ती रहीं। कहने को तो प्रमंडलीय मुख्यालय में कर्जन ग्राउंड, न्यू स्टेडियम व वेल्स ग्राउंड तीन स्टेडियम हैं। इन स्टेडियमों के विकास के लिए सरकार द्वारा अब तक कई करोड़ की राशि भी खर्च की जा चुकी है। लेकिन भ्रष्टाचार के दीमक के कारण अब तक कुछ खास बदलाव नहीं दिखता है।

शहर के मुख्य कर्जन स्टेडियम के विकास के लिए दो करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है। लेकिन मैदान को भरने में पथरीली मिट्टी का उपयोग किए जाने के कारण पूरा मैदान कंकड-पत्थरों से भरा पड़ा है। वहीं दर्शक दीर्घा से लेकर शौचालयों तक की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है। वहीं बैडमिंटन सहित अन्य इंडोर खेलों के लिए इसी ग्राउंड के अंर एक स्टेडियम का भी निर्माण किया गया है। लेकिन उसकी भी स्थिति बदहाल है।

किसी प्रकार मरम्मत कर उसका उपयोग किया जा रहा है। वहीं हॉकी व फुटबॉल सहित एथलेटिक्स के प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले न्यू स्टेडियम की हालत भी कुछ अच्छी नहीं है। धूल भरे मैदान में बच्चे हॉकी व फुटबॉल का प्रैक्टिस करने के लिए विवश हैं। वहीं सदर विधायक की मदद से वेल्स ग्राउंड में थोड़ा-बहुत सुधार किया गया है। यहां खिलाडिय़ों को अब भी पुरानी घिसे-पिटे अंदाज में ही प्रशिक्षण दिया जाता है।

ज्ञात हो कि जिले में हॉकी व फुटबॉल का डे-बोर्डिंग प्रशिक्षण दिया जाता है। जबकि एथलेटिक्स के प्रशिक्षण के लिए अब तक कुछ किया नहीं गया है। जबकि हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स सहित सभी खेलों के लिए यहां संघ का भी गठन किया गया है। साथ ही इनके माध्यम से सरकार एक बड़ी राशि भी खर्च करती है, लेकिन पर्याप्त पर्यवेक्षण के अभाव में उचित परिणाम नजर नहीं आता है।


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