Lok Sabha Polls 2019: एक अदद महाविद्यालय की बाट जोह रहा चौपारण
Lok Sabha Polls 2019. चौपारण की लगभग दो लाख आबादी व तकरीबन एक लाख बीस हजार वोटरों को दशकों से उच्च शिक्षा के लिए पलायन करना पड़ता रहा है।
चौपारण, [शशि शेखर]। राजनीति में लोक की महता है। लोकहित के लिए ही कल्याणकारी योजनाओं को अंजाम दिया जाता है। यदि लाखों जनमानस को बुनियादी सुविधाओं मसलन रोटी, कपड़ा और मकान से इतर शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सुविधाओं के लिए दशकों भटकना पड़े, तो अपने रहनुमाओं से प्रश्न करना लाजिमी हो जाता है।
दरअसल हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के सबसे बड़े प्रखंड चौपारण की लगभग दो लाख आबादी व तकरीबन एक लाख बीस हजार वोटरों को दशकों से उच्च शिक्षा के लिए पलायन करना पड़ता रहा है। प्रखंड के 269 गांव के लाखों बच्चों का भविष्य उच्च शिक्षा के अभाव में अंधकार में है।
कृषि प्रधान चौपारण प्रखंड में केवल खेती ही लोगों का प्रमुख सहारा है। वह भी वर्षा के लिए ईश्वरीय चमत्कार पर ही आश्रित रहते हैं। ऐसे में गरीबों को अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बताते चलें कि चौपारण प्रखंड में उच्च शिक्षा की स्थिति बदतर है। प्रखंड में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है। जबकि प्रत्येक वर्ष प्रखंड से करीब बीस हजार बच्चे मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में सफल होते हैं।
बीते सालों में कुछ विद्यालयों को प्लस टू की मान्यता मिली है, परंतु इसके बाद की पढ़ाई में लोगों को काफी परेशानी होती है। औसतन दस से बीस प्रतिशत बच्चे ही आगे की पढ़ाई जारी रख पाते हैं। शेष आर्थिक अभाव में अथवा अन्य परेशानियों की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। सबसे बड़ा असर बालिका शिक्षा पर पड़ रहा है। अधिकांश छात्राएं इंटर के आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं।
हालांकि यह मामला कई सालों से चला आ रहा है, लेकिन इस ओर आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने प्रयास नहीं किया है। कहने को तो चौपारण इंटर कॉलेज के नाम से एक कॉलेज स्थापित है, परंतु वहां भी किसी प्रकार केवल इंटर तक की शिक्षा दी जाती है। हर साल बच्चे डिग्री कॉलेज के लिए परेशान रहते हैं। यहां एक निजी कॉलेज भी है, जो एक नामचीन राजनीतिक हस्ती के नाम पर है, परंतु उस कॉलेज में भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
आश्चर्य की बात यह है कि आज तक जितने भी राजनीतिक दलों ने इस क्षेत्र से चुनाव लड़ा, किसी भी दल ने चौपारण की शैक्षणिक स्थिति के बारे में कभी चर्चा तक नहीं की। इंटर पास छात्र बरही, इटखोरी अथवा हजारीबाग जाकर किसी तरह आगे की शिक्षा तो ग्रहण कर लेते हैं लेकिन छात्राओं को इसमें काफी परेशानी होती है।