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पहले खेतों में आलू की बंपर पैदावार, फिर घर बैठे किया दोगुना का कारोबार

विकास कुमार हजारीबाग कृषि कानून को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर हंगामा मच

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 09:13 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 09:13 PM (IST)
पहले खेतों में आलू की बंपर पैदावार, फिर घर बैठे किया दोगुना का कारोबार
पहले खेतों में आलू की बंपर पैदावार, फिर घर बैठे किया दोगुना का कारोबार

विकास कुमार, हजारीबाग : कृषि कानून को लेकर देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर हंगामा मचा है। हालांकि, झारखंड में इसका किसानों पर कोई असर नहीं है। किसान खेतों में मगन हैं।

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साथ ही कई ऐसे सफल किसान हैं जो इस कानून को अपने हित में बता रहे हैं। इनमें से एक सफल कृषक हैं इचाक के अशोक मेहता। लाकडाउन के दौरान ही इन्होंने कृषि मंत्रालय के ई-पोर्टल ई-नाम का बेहतर इस्तेमाल किया है। अशोक मेहता ने पहले तो खेतों में जमकर मेहनत कर आलू की बंपर पैदावार की। फिर घर बैठे दोगुना कारोबार भी कर लिया है।

ई-नाम से मिला बाजार, नेपाल तक मिले खरीदार

लाकडाउन में किसानों को बाजार उपलब्ध कराने के मकसद से ई-नाम पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इसका मकसद किसानों को कृषि बाजार समिति के माध्यम से देश में कही भी बाजार उपलब्ध कराना था। अशोक मेहता इस पोर्टल के माध्यम से दो एकड़ हुई आलू के पैदावार को नेपाल तक पहुंचा दिया। नेपाल के व्यापारी अशोक मेहता से सफेद आलू खरीद कर ले गए। अशोक मेहता ने करीब सात लाख रुपये का कारोबार किया। उन्होंने बताया कि लाकडाउन के दौरान उन्होंने गेहूं को ई-नाम पोर्ट से बेचा था। बड़ी बात यह थी कि समर्थन मूल्य से ज्यादा की दर से गेहूं की खरीद हुई थी। आलू भी इस बार 40 से 45 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा है।

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बिचौलिया वाद और कमीशनखोरी से मिलेगी मुक्ति

अशोक मेहता ने बताया कि जिस प्रकार सरकार कृषि कानून को लागू करने की बात कर रही वह किसानों के हित में है। एमएसपी भी सरकार गारंटी दे रही है। अगर इस प्रारूप में यह कानून लागू होता है तो इसका काफी फायदा किसानों को मिलेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि बिचौलियावाद और कमीशनखोरी से मुक्ति मिलेगी। अभी प्रत्येक मंडी में किसानों को अपनी उत्पाद को बेचने के लिए अघोषित रूप से पांच से सात प्रतिशत कमीशन देता पड़ता है। कानून बनने के पहले भी किसान मंडी के बाहर व्यापार करते थे अब तक सरकार इसमें सुरक्षा भी दे रही है।


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