Jharkhand News: नर्सों की बड़ी लापरवाही आई सामने, दिव्यांग महिला के प्रसव के दौरान नवजात का सिर धड़ से हुआ अलग
शेख बिहारी मेडिकल कालेज अस्पताल में बड़ी लापरवाही की घटना सामने आई है और यहां प्रसव के दौरान नर्सों की लापरवाही से एक नवजात का सिर धड़ से अलग हो गया। काफी मुश्किल से एक हाथ और एक पैर से दिव्यांग प्रसूता की जान बच पाई। स्वजनों ने बताया कि बीते मंगलवार सुबह चार बजे प्रसूता को शेख बिहारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ले गए थे।
राजन सिन्हा दारू (हजारीबाग)। शेख बिहारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रसव के दौरान नर्सों की लापरवाही से एक नवजात का सिर धड़ से अलग हो गया। बड़ी मुश्किल से एक हाथ और एक पैर से दिव्यांग प्रसूता की जान बच पाई। घटना मंगलवार सुबह (दो मार्च) की है।
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर पहुंचने पर प्रसूता दारु थाना क्षेत्र के दारु बासोबार निवासी महिला निशा कुमारी पति अंशु कुमार ने पूरे मामले की जानकारी दी। स्वजनों ने बताया कि प्रसूता को मंगलवार सुबह चार बजे शेख बिहारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ले गए थे। जांच के बाद नर्सों ने नॉर्मल डिलीवरी की बात कही और उसे प्रसव के लिए ले गए।
ये लगा आरोप
आरोप है कि बिना चिकित्सक के ही प्रसव के दौरान चार नर्सों द्वारा बेहद लापरवाही से कार्य किया गया। बच्चे का सिर्फ धड़ बाहर आया और सिर अंदर ही रह गया। बाद में ऑपरेशन कर सिर को निकाला गया। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इस दौरान चिकित्सक मौजूद थीं। कहीं से कोई लापरवाही नहीं हुई है।
महिला के परिजनों ने बताया कि नवजात के धड़ से काफी तेजी से खून बहने लगा। प्रसूता के चेहरे और कपड़े खून से सन गए। पीड़ित महिला की मां बुंदिया देवी और चाची पूनम देवी ने नर्सों से सवाल किया तो उन्हें धक्के देकर बाहर कर दिया गया।
नर्सों ने दी ये सफाई
नर्सें महिला को आनन फानन में ऊपरी तल्ला पर ऑपरेशन थियेटर ले गए जहां बच्चे का सिर निकाला गया। इस बीच कुछ कागजातों पर स्वजनों से हस्ताक्षर भी लिए गए।
महिला के परिजन बच्चे को दिखाने की जिद करने लगे तो सिर और धड़ को सटा कर एक कपड़े में लपेट कर उन्हें थमा दिया गया। बच्चे को देखने की लालसा से जब कपड़ा हटाया गया तो सिर महिला की गोद से जमीन पर नीचे गिर गया। नर्सों ने बताया कि बच्चे का सिर में सूजन था जिस कारण इस तरह की घटना हुई।
बेहद गरीब है महिला
पीड़ित महिला को बुधवार की शाम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। महिला शरीर से लाचार है और उसका पति मजदूरी करता है। यह परिवार अत्यंत ही गरीब है। महिला की पूर्व से दो बेटियां हैं। पैर बाहर आने पर नॉर्मल डिलवरी का कैसे लिया निर्णय अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि बच्चा उल्टा था।
एक बार भी महिला ने जांच नहीं कराई थी तो फिर बिना जांच के नॉर्मल डिलीवरी का निर्णय कैसे लिया गया। बताया जाता है कि बच्चे का पैर पहले बाहर आ गया था। इस स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी संभव नहीं होती है। इसके बावजूद प्रसूता की जान के साथ खिलवाड़ किया गया और नवजात की जान चली गई।
प्रसव से पहले ही नवजात की हो चुकी थी मौत
प्रसव के लिए जब महिला अस्पताल पहुंची तो नवजात का पैर और कार्ड बाहर निकल आया था। प्रसव से पूर्व ही नवजात की मौत हो चुकी थी। वहीं नवजात को दिमाग में पानी भर जाने की बीमारी भी थी, जिसके कारण उसका सिर बड़ा हो गया था।
इससे प्रसव के दौरान नवजात का सिर अंदर ही फंस गया। बाद में ऑपरेशन कर नवजात के सिर को बाहर निकाला गया। महिला ने गर्भावस्था के दौरान कभी जांच नहीं कराई थी। मौके पर ऑन ड्यूटी चिकित्सक मौजूद थीं।
ये भी पढे़ं-