निलंबन के बाद अब लटक रही गिरफ्तारी की तलवार
लीड------------- पेयजल स्वच्छता विभाग में 10 करोड़ से अधिक के घपला लेकर हुई कार्रवाई
लीड------------- पेयजल स्वच्छता विभाग में 10 करोड़ से अधिक के घपला लेकर हुई कार्रवाई संवाद सहयोगी, हजारीबाग : वर्ष 2021 कोविड के संक्रमण में काल में पेयजल स्वच्छता विभाग हजारीबाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मार्कण्डेय कुमार राकेश पर करीब 10 करोड़ के घपले की प्रारंभिक जांच में पुष्टि के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है। निलंबन के बाद अब उन पर गिरफ्तारी की भी तलवार लटक रही है। मार्कण्डेय राकेश वर्तमान में गुमला पेयजल विभाग में अधीक्षण अभियंता के पद पर तैनात थे। लेकिन, जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद विभाग ने उन्हें वापस मुख्यालय बुला लिया था। इसके बाद सदर थाने में कार्यपालक अभियंता मनोज मुंडारी ने तत्कालीन कार्यपालक अभियंता के अलावा दो आपरेटर राजेश और उमेश कुमार पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी के बाद सदर थाने की पुलिस सक्रिय हो गई है। स्वयं थाना प्रभारी इंस्पेक्टर गणेश कुमार सिंह मामले की जांच कर रहे है। जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पुलिस सबूतों और जांच रिपोर्ट को साक्ष्य के तौर पर जमा कर रही है। ज्ञात हो कि मार्कण्डेय राकेश द्वारा हजारीबाग में पेयजल व स्वच्छता विभाग की विभिन्न योजनाओं में भारी अनियमितता बरती गयी थी। इस बाबत आरोप लगने के बाद विभागीय जांच में इसकी पुष्टि हुई और 190 पेज के जांच रिपोर्ट में इनके द्वारा किए गए घपले की की परत दर परत खोल दी गयी थी। उनपर सरकारी राशि के गबन के अलावा दस्तावेज में छेड़छाड़ कर गड़बड़ी करने का आरोप है। राज्य स्तर पर गठित चार सदस्यीय दल ने इसकी जांच की थी। जानकारी के अनुसार राकेश के पर विभागीय कार्रवाई के अलावा घपले की राशि वसूल करने की कार्रवाई कर सकती है। मालूम हो कि जांच रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों का दैनिक जागरण ने 10 व 11 दिसंबर के अंक में पर्दाफाश किया था। इसके बाद से विभागीय कार्रवाई और तेज हो गई थी।
----
फर्जी नंबर के वाहनों से लाखों की निकासी, फर्जी जीएसटी पर दो करोड़ का भुगतान
जांच में यह बात सामने आई थी कि 2021 कोरोना काल में स्वच्छता मिशन ग्रामीण में दो पहिया वाहनों के नंबर दिखाकर 11 लाख से अधिक की राशि निकाली गई थी। यहां तक कि जिस वाहन से स्वयं तत्कालीन अभियंता घूमते थे, वह स्कूटी का निकला था। जबकि उसे बोलेरो वाहन दिखाकर पेट्रोल के नाम पर 1 लाख 74 हजार की निकासी की गई थी। यहां तक कि एक कंपनी को दो फर्जी जीएसटी पर दो करोड़ का भुगतान किया गया था।