हजारीबाग का ई-नाम अब बिहार में करेगा कमाल
लीड------------ कृषि विभाग की दो सदस्यीय टीम ने हजारीबाग बाजार समिति से ली जानकारी जागरण
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कृषि विभाग की दो सदस्यीय टीम ने हजारीबाग बाजार समिति से ली जानकारी जागरण संवाददाता हजारीबाग: हजारीबाग कृषि बाजार समिति के द्वारा ई-नाम पर किया गया काम अब पड़ोसी राज्य बिहार के काम आने वाला है। कृषि विभाग बिहार सरकार की एग्रीकल्चर प्रोड्यूस वैल्यू एडिशन सिस्टम की दो सदस्यीय टीम गुरुवार को हजारीबाग कृषि बाजार समिति पहुंची। टीम में शामिल नवीन भूषण और अमित कुमार ने ई-नाम के माध्यम से किसानों को जोड़ने की प्रक्रिया समेत व्यापार की जानकारी ली। जाना कि कैसे हजारीबाग बाजार समिति घर बैठे किसानों के खाते में पैसे पहुंचा रही है। बिहार में इसे कैसे प्रारंभ किया जा सकता है और इसमें क्या-क्या समस्याएं आ सकती हैं। टीम ने जानकारी दी कि बिहार में कृषि बाजार अधिनियम लागू नही है। ऐसे में बिना एक्ट के ई-नाम कैसे प्रभावी बन सकता है। इसके अलावा एफपीओ के गठन को लेकर भी जानकारी ली। इसके लिए इचाक एग्रो प्रोड्यूसर फार्मर कंपनी के निदेशक अशोक मेहता से बात की और ट्रेड के बारे में जानकारी ली। हजारीबाग बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह ने निबंधन की पूरी प्रक्रिया बताई। कहा कि यह बेहद सरल है पोर्टल पर आधार कार्ड, बैंक पासबुक और मोबाइल नंबर के माध्यम से निबंधन कराया जा सकता है।
इसके अलावा कृषि उत्पाद की खरीद बिक्री, डिजिटल भुगतान की जानकारी समेत अन्य जानकारियां दी गईं। टीम शुक्रवार को झारखंड राज्य कृषि विपणन परिषद के प्रबंधन निदेशक मनोज कुमार और कृषि विभाग के सचिव से भी मुलाकात की।
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झारखंड में हजारीबाग ने किया है सबसे बेहतर काम
हजारीबाग में केंद्र सरकार के कृषि पोर्टल ई-नाम का डंका बज रहा है। देश की टॉप मंडियों के शामिल हैं और व्यापार में पूरे झारखंड में नंबर वन है। अब तक छह करोड़ का डिजिटल भुगतान ई-नाम के माध्यम से किया गया है। करीब 30 हजार किसान इस पोर्टल से जुड़े हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिहार के 20 मंडियों को ई-नाम से जोड़ने ही सहमति दी है। इसके लिए डीपीआर भी भेज दिया गया है। डीपीआर की मंजूरी के बाद प्रत्येक मंडी को इसके लिए 75 लाख रुपये भी प्राप्त होंगे।