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जिले में फायदे का सौदा बन रहा मत्स्य पालन

जागरण विशेष मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहा हजारीबाग बढ़ रही है आय मासूम अहमद

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Jun 2021 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jun 2021 08:18 PM (IST)
जिले में फायदे का सौदा बन रहा मत्स्य पालन
जिले में फायदे का सौदा बन रहा मत्स्य पालन

जागरण विशेष मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहा हजारीबाग, बढ़ रही है आय

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मासूम अहमद,

हजारीबाग : प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आय दुगुनी करने के आह्वान के तहत सरकार द्वारा कृषि एवं संबद्ध व्यवसाय जैसे बागबानी, पशुपालन, मत्स्यपालन आदि को सशक्त करने का आह्वान किया गया है। इसी के तहत प्रमंडलीय मुख्यालय हजारीबाग जिले में मत्स्यपालन को लाभकारी व्यवसाय के रूप् में तब्दील करने की विशेष पहल की गई है। इसी क्रम में राज्य सरकार द्वारा भी मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई है। इसको लेकर विभाग और मत्स्य पालकों के प्रयास का नतीजा है कि जिले में मत्स्यपालन फायदे का सौदा बनता जा रहा है। विशेष रूप से मत्स्य बीज उत्पादन में हजारीबाग आत्मनिर्भर बन रहा है। इसके साथ ही दूसरे राज्यों पर निर्भरता खत्म हो रही है। पूर्व में पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा से मत्स्य बीज लेने की मजबूरी थी। अब जिले में कई स्थानों में मत्स्य बीज की पैदावार की जा रही है। अब तो मत्स्य बीज को बेचने की स्थिति बन रही है। विशेष रूप से जिले के बरही और विष्णुगढ़ के जलाशयों में योजना धरातल पर उतर गई है। इस क्रम में विभाग के साथ साथ अभियान में मत्स्य पालक व किसान मित्र शिद्दत से जुटे हैं।

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कुल 3700 लाख स्पॉन का हो चुका वितरण

तालाब तथा जलाशय मत्स्य का विकास एवं जीर्णोद्धार योजना के तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों के 185 प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों के बीच प्रति बीज उत्पादक 20 लाख मत्स्य बीज स्पॉन की दर से कुल 3700 लाख स्पॉन का अब तक वितरण किया जा चुका है। प्रशिक्षित मत्स्य बीज उत्पादकों को नर्सरी तालाब की तैयारी जैसे तालाब की जुताई, खाद एवं चूना डालना तथा जलीय कीड़ों को मारना, के उपरांत मत्स्य बीज (जीरा) उत्पादन के लिए नर्सरी तालाबों में जलक्षेत्र के अनुपात में मत्स्य स्पॉन 90 प्रतिशत अनुदान पर संचयन हेतु उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही प्रति मत्स्य उत्पादक दो हजार रुपए का फ्लोटिग मैश फीड एवं दो हजार रुपए का एक फाई कैचिग नेट तथा पांच सौ रुपए का मोबाइल वॉचर भी उपलब्ध कराया जाता है। अब तक 60 हजार मत्स्य बीज उत्पादकों को को फीड एवं 45 मत्स्य बीज उत्पादकों को फाई कैचिग नेट का वितरण किया गया है।

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जिले में संचालित हैं पोर्टेबुल हैचरी योजना

स्पान उत्पादन को बढावा देने के लिए वर्ष 2016-17 में राज्य सरकार द्वारा पोर्टेबुल हैचरी योजना की शुरूआत की गइ्र थी। इसके तहत हजारीबाग जिला में कुल नौ हैचरियां लगाई गइ्र थी। कुछ संचालकों द्वारा निरंतर अभ्यास और लगन से इस कार्य में दक्षता हासिल कर ली गई। इस वर्ष अभी तक चार पोर्टेबुल हैचरी का सफल संचालन हेमलाल महतो, गोविदपूर एवं जोधन प्रसाद चेडरा विषणुगढ के द्वारा किया गया है एवं कुल एक करोड़ स्पॉन

का उत्पादन किया जा रहा है। जिले में विभिन्न योजना के तहत तिलैया, कोनार, जमुनिया, केवालिया एवं बौधा डैम में स्थापित कुल 370 केज बैट्री में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन कर दिया गया है। सभी केजों में मत्स्य बीजों की उत्तरजीविता एवं बढ़त बहुत अच्छी है। सभी केज संचालक समय पर मत्स्य बीज संचयन होने से खुश है।


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