हजारीबाग का यह किसान नालियों के गंदे पानी को सहेज कर अपने यहां फूलों की कर रहा बंपर खेती
घरों से निकलते गंदा और दूषित पानी को चरही के प्रगतिशील किसान फुलेश्वर महतो ने न सिर्फ इस पानी को अच्छे ढंग से निष्पादित किया। बल्कि इसे अपने आय का जरिया बना लिया है। फुलेश्वर करीब 200 घरों से निकलने वाले गंदे पानी को सिंचाई का साधना बना लिया है।
water conservation in hazaribagh रंजीत सिन्हा चरही (हजारीबाग): घरों से निकलता गंदा और दूषित पानी का समुचित निष्पादन किसी भी शहर और मोहल्ले की सबसे जटिल समस्या होती है। ये बदबूदार व दूषित पानी कई बीमारियों का कारण बन जाती हैं। लेकिन, चरही के प्रगतिशील किसान फुलेश्वर महतो ने न सिर्फ इस पानी को अच्छे ढंग से निष्पादित किया। बल्कि इसे अपने आय का जरिया बना लिया है। पानी बचाने और सहेजने की मुहिम में लगे फुलेश्वर करीब 200 घरों से निकलने वाले गंदे पानी को सिंचाई का साधना बना लिया है। चरही गांव में जरबेरा फूलों की खेती इस पानी से करीब एक एकड़ के पॉली हाउस में उनके फूलों की बगिया महक रखी है। यहां से निकलने वाले फूल गुलदस्तों की शोभा बढ़़ा रहे हैं, और उनकी आमदनी का बड़ा जरिया बन गए हैं।
सोख्ता की पुरानी तकनीक आई काम, इजरायल से आया विचार
फुलेश्वर महतो को दूषित पानी के इस्तेमाल का विचार इजरायल से आया। तीन साल पहले किसानों के दल के साथ प्रशिक्षण के लिए जब वे वहां गए थे तो खारे पानी के इस्तेमाल से फूलों की खेती होती देखी थी। इसके बाद गांव में घरों से निकलते दूषित पानी के इस्तेमाल का मन बनाया। गांव के नाली के आखिरी छोर पर मोटे बालू और पत्थर का इस्तेमाल कर सोख्ता का निर्माण किया है। ऐसे क्रमबद्ध तीन सोख्ता का निर्माण किया है। यहां पहले सोख्ता से पानी फिल्टर होते होते हुए तीसरे सोख्ता तक पहुंचता है। फुलेश्वर बताते हैं कि फिलहाल मैं सोख्ता में सुबह के पानी का इस्तेमाल नही करता हूं क्यूंकि उसमें साबुन व सर्फ की मात्रा ज्यादा होती है। दोपहर बाद के पानी को सोख्ता में लेता हूं। पानी को शुद्ध करने के लिए स्क्रीन फिल्टर का इस्तेमाल कर रहा हूं। हर दिन करीब 3000 लीटर पानी सोख्ता में जमा हो रहा है। इस पानी से फूलों की सिंचाई कर रहा हूं।
ऐसे कर रहे हैं सिंचाई
नाली के पानी को मोटर लगाकर एक सोख्ता में जमा किया गया है। पुन: सोख्ते के पानी को साफ कर ड्रिप के द्वारा फूल के बागवानी में पटवन में प्रयोग किया जाता है। फुलेश्वर महतो कहते हैं कि बेकार बहने वाले पानी को इस्तेमाल कर अच्छे किस्म की फूलों की खेती की जा रही है। जरबेरा नामक फूल के पौधे लगाए गए हैं। इसमें हर हफ्ते लगभग दो से तीन हजार मूल्य के फूल बेची जा सकती है। यह खेती एक बार लगाने से पांच वर्ष तक उत्पादन लिया जा सकता है। फुलेश्वर अपने क्षेत्र में खेती कार्य में कुछ नया करने की कोशिश वर्षों से करते आए हैं।
गांव के जलस्तर को बढ़ाने के लिए किसानों को देंगे प्रशिक्षण
फुलेश्वर महतो केंद्र सरकार के कृषि पोर्टल ई-नाम से जुड़े हुए हैं। इस समूह में उनके साथ छह सौ से अधिक किसान हैं। किसानों को जल संरक्षण के तहत घरों से निकलते गंदे पानी के इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, जगह-जगह इसके लिए सोख्ता का निर्माण कर रहे हैं। ताकि गांव के जलस्तर को हमेशा बनाया रखा जा सके। अधिक से अधिक ग्रामीण इसमें जुटेंगे तो जलसंरक्षण को और बल मिलेगा।