हुनर व आधुनिक खेती से प्रवासी लिखेंगे नई इबारत
जागरण संवाददाता हजारीबाग बरही का कोरियाडीह गांव। जिले में गांव की पहचान पॉकलेन आप
जागरण संवाददाता, हजारीबाग : बरही का कोरियाडीह गांव। जिले में गांव की पहचान पॉकलेन आपरेटरों के गांव के रूप में होती है। करीब 300 घरों वाले इस गांव में 200 पॉकलेन आपरेटर हैं। बड़ी बात है सभी प्रवासी हैं। वैसे इस गांव में हर घर से कोई न कोई बाहर काम करता है। लेकिन, लॉकडाउन ने इन्हें घर लौटने पर मजबूर कर दिया है। अब तक 150 के करीब युवा घर लौट कर आ चुके हैं। कोरोना और लॉकडाउन ने इन युवाओं को नया सबक सिखाया है। कई युवक ऐसे हैं जो अब गांव में ही रहकर कुछ ऐसा करना चाहते हैं ताकि उन्हें अब बाहर न जाना पड़े, वहीं आमदनी में भी कमी न हो। गांव में नये ढंग से खेती तो इनके लिए एक सरल विकल्प है ही लेकिन ये गांव के मौजूदा संसाधन पर बोझ नहीं डालना चाहते बल्कि नया संसाधन विकसित करना चाहते हैं। गांव की पहचान बदलने की इस कसमसाहट में प्रवासी मजदूरों का समय गुजर रहा है।
धनवार पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव के प्रभारी मुखिया नुकूल कुमार बताते हैं लौटने वाले कई युवाओं ने उनके संपर्क किया है। कई तो अब जाना भी नहीं चाहते हैं। कहते हैं कि यहीं कुछ रोजगार करेंगे। इसका स्वरूप क्या होगा अभी दिमाग में कुछ स्पष्ट नहीं है लेकिन बाहर रहकर सिखे हुनर का भी इस्तेमाल करेंगे। वहीं कुछ युवा सिचाई की समुचित सुविधा की भी बात उठाते हैं। वह चाहते हैं कि करीब 20 साल से बंद चेवनी नदी पर लिफ्ट एरिगेशन को फिर से प्रारंभ किया जाए। युवा इसके लिए आवेदन भी बना रहे हैं। मुंबई से लौट कर आए संतोष प्रसाद सुरेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि चंदगढ़वा में लिफ्ट एरिगेशन नए रूप से प्रारंभ हो सकता है। सब्जी उत्पादन व नये कृषि उत्पाद से हमारा गांव काफी आगे जा सकता है। सब्जी उत्पादन का हुनूर गांव को विरासत में मिला है लेकिन इसे आधुनिक कृषि से जोड़ना है। मिर्जापुर यूपी से लौट कर आए आपरेटर दिनेश नीतेश कुशवाहा बताते हैं कि हम अपने हुनर से यहां भी अवसर तलासेंगे। परंपरागत सब्जी की खेती को आधुनिक बनाने के साथ हुनर आधारित रोजदार से हम गांव की तस्वीर बदलेंगे और समृद्धि की नई इबारत लिखेंगे।