गोद में बच्चा ले निभाया लोकतंत्र का फर्ज
हजारीबाग अति उग्रवाद प्रभावित चुरचू प्रखंड का बाली गांव। यहां लाइन में लगी महिलाओं को न
हजारीबाग : अति उग्रवाद प्रभावित चुरचू प्रखंड का बाली गांव। यहां लाइन में लगी महिलाओं को न धूप की चिता सता रही थी न उग्रवादियों का डर था। बेखौफ होकर वे मतदान करने निकली थीं। कतार इतनी लंबी थी कि सुबह सात बजे शुरु हुई कतार 11 बजे के बाद तक टूटी नही थी। महिलाओं की लंबी कतार के बीच करीब एक दर्जन महिलाएं ऐसी थीं, जो गोद में अपने दुलारे को लेकर मां का फर्ज भी निभा रही थीं, साथ में लोकतंत्र के पर्ची लिए वोट के लिए अपने बारी का इंतजार कर रही थीं। तीन किलोमीटर पैदल चल कर महिलाएं बाली के प्राथमिक विद्यालय में वोट डालने पहुंची थीं।
अपने एक साल के बेटे को लेकर वोट डालने पहुंची सुमरोबेड़ा की प्यासी मुर्मू ने बताया कि वे खेती बारी करती हैं। पति बाहर काम करते हैं। सुबह सात बजे ही अपने बुजुर्ग सास को खाना खिलाकर बेटे को साथ लेकर मतदान करने पहुंच गई थीं। बीच में बेटे का प्यास लगी तो वही लगे हैंडपंप से पानी पिलाया और फिर आकर कतार में लग गईं। करीब एक घंटे कतार में रहने के बाद प्यासी मुर्मू का नंबर आया। बाली गांव की सुनीता देवी भी अपने एक वर्षीय बेटे को लेकर कतार में थी। बताया कि सुबह ही सबसे पहले मतदान करने के लिए निकल गईं। बेटे को घर में अकेले नही छोड़ सकती थी। इसलिए साथ ही इसके लिए कुछ खाने का लेकर भी आई हूं। सुनीता देवी के ठीक बगल में स्मृति देवी अपनी बारी के आने का इंतजार कर रही थीं। डेढ़ वर्षीय लाडले को गोल में लिए स्मृति ने बताया कि करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर वोट डालने पहुंची हैं। खेती से घर चलता है। मेरे गांव तक सड़क बन गई है इसलिए मैं वोट देने आई हूं।
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