संदेश छोड़ गए वरण साव, मृत्यु के पहले किया वोटिंग
संदेश छोड़ गए वरण साव मृत्यु के पहले किया वोटिंग
संदेश छोड़ गए वरण साव, मृत्यु के पहले किया वोटिंग
शशि शेखर, चौपारण (हजारीबाग) विश्व के दूसरे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की जनता अपने कर्तव्यों को जीवन पर्यंत पूरा करती है। उनकी यही कर्तव्य परायणता के कारण ही भारत का लोकतंत्र पूरे विश्व में श्रेष्ठ माना जाता है । प्रजातंत्र में सता जनता का, जनता के लिए , जनता के द्वारा चुनी गई सरकार से संचालित होती है। ऐसे ही 14 मई को गांव की सरकार को चुनने के महज आधे घंटे के बाद स्वर्ग सिधारे वरण साव आज पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन कर उभरे हैं। लगभग 105 साल के इस वयोवृद्ध ने मरने से पूर्व अपनी बहू और बेटे को मतदान स्थल तक ले जाने के लिए जिद की। इतना ही नहीं उनके जिद के कारण उन के पड़ोसी गजाधर प्रसाद अपनी कार मुहैया कराकर मतदान स्थल तक ले गए और मतदान के महज आधे घंटे के बाद ही उनकी मौत हो गई। पड़ोसी गजाधर प्रसाद बताते हैं कि वरण साहू आरंभ से काफी जागरूक रहे हैं। वह पहले अपने युवावस्था में चावल बेचकर जीवन यापन करते थे। हालांकि वे साधारण गरीब परिवार से संबंध रखते हैं लेकिन उनके दो पुत्र बाबूलाल साहू और जागेश्वर साहू मुंबई में सब्जी बेचने का व्यापार करते हैं। वे सभी परिवार सहित मुंबई में रहते हैं। लेकिन अपने पिता के लालन पालन के लिए तीन- तीन माह के लिए दोनों भाई अपने परिवार को पिता के साथ रखते हैं। वरण शाह अपने जीवन काल में साहू समाज के गांव स्तर के अध्यक्ष भी थे। लगातार सक्रिय रहकर लोगों को बेहतर और अच्छा करने की प्रेरणा देते थे । उन्होंने अपने जीवन काल में हर चुनाव में हिस्सा लिया। इस बात की जानकारी देते हुए उनके पुत्र ने बताया कि वोट देना अपना कर्तव्य समझते थे और लोगों को जागरूक भी करते थे । बिस्तर पर रहने के बावजूद भी घर के लोगों को भी वोट देने के लिए कहते रहते थे। आज उनके जाने के बाद भी उनकी यह कर्तव्यपरायणता भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने का एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।