धूल फांक रहा ई-विद्या वाहिनी टैब
जिले के 16 सौ विद्यालयों में वितरण के लिए करोड़ों रुपये की लागत से ई विद्या वाहिनी टैब खरीदा गया है।
हजारीबाग, जेएनएन। सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण भोजन से लेकर शिक्षक और शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में लगातार काम कर रही मानव संसाधन विकास विभाग के लिए जिले में योजनाओं को मूर्त रूप देना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण सरकार की ई विद्या वाहिनी टैब योजना में देखने को मिल रहा है। योजना का उद्देश्य जिलों के शिक्षक, विद्यालय और विद्यार्थियों पर निगरानी करने के साथ साथ स्कूलों का आनलाईन भौतिक सत्यापन करना है। लेकिन पिछले सात माह से जिले में प्रथम चरण के प्रशिक्षण के बाद दूसरे चरण का प्रशिक्षण पूरा नहीं हो पाया है। नतीजा यह हुआ है कि प्रशिक्षक के अभाव में योजना का कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है। इससे विद्यालय की निगरानी करने वाला यह टैब शोभा की वस्तु बन गई है।
करोड़ों की लागत से खरीदे गए हैं टैब :
जिले के 16 सौ विद्यालयों में वितरण के लिए करोड़ों रुपये की लागत से ई विद्या वाहिनी टैब खरीदा गया है। एक टैब की कीमत करीब 94 हजार रुपए बताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक ई विद्या वाहिनी टैब का मल्टीपरपस उपयोग है। इसके होने से विद्यालयों में शिक्षकों का ठहराव ही सुनिश्चित नहीं होगा बल्कि विद्यार्थियों की उपस्थिति और गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो सकेगा।
ऑनलाइन दर्ज होगी उपस्थिति, नहीं होगा आंकड़ों का उलट फेर :
ई विद्या वाहिनी टैब की मदद से शिक्षकों का सुदूरवर्ती विद्यालयों में भी आनलाईन उपस्थिति बन सकेगी। वहीं आंकड़ों से भी इसमें हेरफेर नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं विद्यार्थियों का भी आनलाईन उपस्थिति भी इस टैब में बनाने की व्यवस्था है। तकनीकी विशेषज्ञ के अनुसार ई विद्या वाहिनी टैब से कार्यालय कार्य से लेकर भुगतान, छात्रवृति जैसे कई कार्य भी विद्यार्थी स्कूलों में बैठे देख सकते है, उन्हें कार्यालयों का चक्कर भी नहीं काटना होगा।
यह बहुत महत्वपूर्ण मशीन है, जिससे स्कूल के साथ साथ अन्य व्यवस्थाएं व्यवस्थित हो जाएंगी। साफ्टवेयर आदि सभी इंस्टाल किए जा चुके हैं लेकिन अफसोस की बात है कि इन्हें चलाने वालों को ही विभाग प्रशिक्षण नहीं दे रहा है। ऐसे में बिना मास्टर प्रशिक्षण के टैब का वितरण नहीं हो सकता। शिक्षकों के प्रशिक्षण के अभाव में यह मशीन बेकार हो रहा है।
-इंदू भूषण सिंह, डीएसई