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गुहार गई बेकार तो उठाया औजार, अब खुद कर रहे सड़क तैयार; नेताओं को दी चेतावनी

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते खुद किया सड़क बनाने का फैसला गांव में आज तक प्रधानमंत्री आवास को छोड़ अन्य कोई विकास कार्य नहीं हुआ।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 08:52 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 09:09 AM (IST)
गुहार गई बेकार तो उठाया औजार, अब खुद कर रहे सड़क तैयार; नेताओं को दी चेतावनी
गुहार गई बेकार तो उठाया औजार, अब खुद कर रहे सड़क तैयार; नेताओं को दी चेतावनी

हजारीबाग, [मि‍थिलेश पाठक]। झारखंड के हजारीबाग जिले में पताल पंचायत के गांव कस्तयारी के लोगों को आजादी के बाद भी बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं हो पा रही हैं। कस्तयारी गांव के लोग अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से कई बार अपने गांव से निकलने के लिए एक अदद रास्ते की गुहार लगा चुके हैं। व्यवस्था से थक हारकर यहां के लोग अब बिहार के दशरथ मांझी के बताए रास्ते पर चल चुके हैं। जिस तरह मांझी ने पहाड़ को काटकर रास्ता बना लिया था, उसी तर्ज पर यहां के लोग भी तीन किलोमीटर लंबी सड़क को श्रमदान से बनाने में जुटे हैं।

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यहां लोग पिछले कुछ माह से प्रत्येक रविवार को श्रमदान कर सड़क का निर्माण कर रहे हैं, ताकि आवागमन में सुविधा हो। कस्तयारी गांव में 40 घरों में लगभग 150 लोग रहते हैं। सभी अनुसूचित जाति गंझू परिवार के हैं। गांव में आज तक प्रधानमंत्री आवास को छोड़ अन्य कोई विकास कार्य नहीं हो सका है। यहां के लोग सरकार और सरकारी व्यवस्था से काफी नाराज हैं।

दो माह से बना रहे हैं सड़क
युवाओं की टोली विगत दो माह से सड़क का निर्माण कर रही है। प्रत्येक रविवार को 25 से 30 लोग घर से निकलते हैं और सड़क का निर्माण करते हैं। अब तक ग्रामीण करीब 300 मीटर तक सड़क बना चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इधर बारिश हो रही है, इसलिए सड़क निर्माण की गति धीमी है। सड़क निर्माण कर रहे ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति खासा रोष है। उनका कहना है कि अगर सड़क निर्माण करा दिया जाता तो उन्हें यह कार्य नहीं करना होता।

सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को
ग्रामीण विनोद महतो और जैलेंद्र गंझू ने बताया कि सड़क के निर्माण के लिए बीडीओ, मुखिया सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को आवेदन किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तब ग्रामीणों ने गांव से मुख्य सड़क तक तीन किलोमीटर लंबी सड़क बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद प्रत्येक रविवार को गांव की एक टोली कुदाल, फावड़ा व अन्य औजार लेकर निकलती है और सड़क के निर्माण में जुट जाती है। ग्रामीणों की शिकायत है कि इस गांव में वोट लेने के लिए नेता आते हैं और सब्जबाग दिखाते हैं, लेकिन चुनाव पूरा होने के बाद कोई भी नजर आता है। सड़क के अभाव में सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को होती है।

जख्मी होते हैं ग्रामीण
बरसात में गांव की ओर जाने वाली कच्ची सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाती है। इस कारण बारिश में यहां से गुजरने वाले लोग अक्सर गिर कर घायल हो जाते हैं। बच्चे कई बार स्कूल भी नहीं जा पाते, क्योंकि कीचड़ में गिरने से उनके कपड़े गंदे हो जाते हैं, लेकिन सभी इसी रास्ते पर चलने को मजबूर हैं।

नेताओं को दी चेतावनी
जलेंद्र गंझू, सूरेश गंझू, मकूल गंझू समेत अन्य ग्रामीण कहते हैं कि वे सड़क तो बना ही रहे हैं, लेकिन इसे पक्का करने का काम अगर आगामी विधानसभा चुनाव तक नहीं करवाया गया तो इस चुनाव में नेताओं को सबक सिखाएंगे।

ऐसा नहीं है कि मेरा ध्यान इस गांव की ओर नहीं है। गांव में इससे पूर्व एक किमी पीसीसी पक्की सड़क निर्माण के लिए मैंने मुखिया फंड से रुपये दिए हैं, लेकिन ग्रामीण अभी तक जगह का चयन नहीं कर सके हैं। अब ग्राम सभा में योजना का चयन कर बीडीओ से मिलकर गांव में विकास कार्य करवाऊंगा। - इशाक एक्का, मुखिया, पताल पंचायत


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