संत कोलंबा प्राचार्य ने कुलपति पर लगाए जाति सूचक भाषा के उपयोग का आरोप,एसटी थाना में आवेदन
-तीन अन्य के साथ कुलपति कक्ष में मुलाकात करने गए थे प्राचार्य संत कोलंबा 15 मिनट बाद कक्ष से ि
-तीन अन्य के साथ कुलपति कक्ष में मुलाकात करने गए थे प्राचार्य संत कोलंबा, 15 मिनट बाद कक्ष से निकल गए बाहर
कुलपति कक्ष में सीसीटीवी फुटेज के साथ होती है ऑडियो रिकार्डिंग
संस, हजारीबाग : पिछले 12 सालों से अपने पद पर जमे संत कोलंबा महाविद्यालय के प्राचार्य सुशील टोप्पो ने विभावि कुलपति डा. मुकुल नारायण देव पर जाति सूचक भाषा का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए एससी-एसटी थाना में प्राथमिकी का आवेदन दिया है। दिन के करीब 11. 30 बजे कुलपति कक्ष में किसी कार्य को लेकर तीन अन्य सदस्यों के साथ गए थे। करीब 15 मिनट बाद बाहर आए प्राचार्य ने कुलपति पर जाति सूचक भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए कुलपति सचिवालय से बाहर चले गए। इसके बाद दिन के करीब तीन बजे एससी - एसटी थाना में आवेदन लिखकर कुलपति पर आरोप लगाया। आवेदन में बकायदा तीन अन्य को भी प्राचार्य ने गवाह बनाया है।
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कक्ष में ऑडियो भी होता है रिकार्ड, सच तत्काल आ जाएगा सामने
कुलपति कक्ष में असंसदीय और जाति सूचक शब्द का उपयोग करने का आरोप लगा प्राथमिकी की आवेदन देने वाले प्राचार्य सुशील टोप्पो व कुलपति से हुई बातचीत का सच तत्काल सामने आ सकता है। दरअसल कुलपति कक्ष में सीसीटीवी के साथ साथ ऑडियो रिकार्ड भी होता है। आरोप के बाद कुलपति ने विभावि के पदाधिकारियों को प्राचार्य से हुई बातें सुनाई तो प्राचार्य का दांव उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है।
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कई शिक्षकों का तबादला कर दिया गया था। शिक्षकों की प्रतिनियुक्त लगातार की जा रही थी। शिक्षेकत्तर कर्मियों की भी प्रतिनियुक्ति की जा रही है। पत्र लिखने के बाद कोई सुनवाई नही हो रही थी। मेरी शिकायत के बाद उन्होंने जाति सूचक टिप्पणी ने की। अभद्र व्यवहार किया और कुलपति कक्ष से बाहर कर दिया।
- सुशील टोप्पो, संत कोलंबा
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प्राचार्य द्वारा लगाए गए आरोप मिथ्या है, शायद इस तरह का कार्य खुद के पर होने वाली कार्यवाही से बचने के लिए कर रहे होंगे। उन्हें शायद पता नहीं कि कुलपति कक्ष में सीसीटीवी फुटेज के अलावा ऑडियो भी रिकार्ड होती है। उनके साथ हुई सारी बातें रिकार्ड है और फुटेज में भी है। यह देखा और सुना जा सकता है। इस तरह के आरोप केवल विभावि के छवि को हीं नहीं संत कोलंबा और प्राचार्य के गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।
डा. मुकुल नारायण देव, कुलपति, विभावि, हजारीबाग